महाभारत से जुड़े तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के बीच इन्हें अक्सर साझा किया जाता रहता है। आज हम भी आपके लिए महाभारत से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प प्रसंग लेकर आए हैं। इस प्रसंग में उस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है जब कुंती भगवान श्रीकृष्ण से दुख भोगने का वरदान मांगती हैं। जी हां, ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण जी कुंती के पास जाकर कहे थे कि आप(बुआ) उनसे कोई वरदान मांग लें। इस पर कुंती ने कहा था कि यदि आप मुझे कोई वरदान देना ही चाहते हैं तो मुझे दुख भोगने का वरदान दीजिए। बताते हैं कि कुंती के इस जवाब से कृष्ण जी को भी काफी आश्चर्य हुआ था और उन्होंने उनसे इसकी वजह पूछी थी।

इस प्रसंग के मुताबिक कुंती ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि मैं हमेशा आपका साथ चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि हमेशा आपकी कृपा मेरे ऊपर बनी रहे। ऐसे में मैं जब भी दुखी रहूंगी, आपको ही याद करूंगी। यह मानव का स्वभाव बताया जाता है कि वह जब भी दुखी होता है, उसे भगवान की याद आती है। दूसरी तरफ, जब मानव प्रसन्न होता है उस वक्त उसे भगवान की याद बिलकुल भी नहीं आती।

ऐसा कहा जाता है कि कुंती के मुख से ये बातें सुनकर श्रीकृष्ण जी काफी प्रभावित हुए थे। और उन्हें यह पता चला था कि कुंती उनसे कितना प्रेम करती हैं। बताते हैं कि कृष्ण ने कुंती की सदा रक्षा करने का वचन दिया था। इस प्रसंग से यह सीख दी जाती है कि हमें सुख में भी भगवान को याद करते रहना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग केवल दुख में ही भगवान को याद करते हैं, वे स्वार्थी स्वभाव के होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन लोगों से भगवान बहुत प्रभावित नहीं होते।