Kumbh Sankranti 2022: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य देव मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तो कुंभ संक्रांति का संयोग बनता है। आपको बता दें आज 13 फरवरी सुबह सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश कर गए हैं। इस साल कुंभ संक्रांति का महत्व और बढ़ गया है। क्योंकि आज त्रिपुष्कर और प्रीति योग का खास संयोग बन रहा है. इस दिन गंगा नदी या त्रिवेणी संगम में स्नान करना शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पुण्यकाल और महत्व…
कुंभ संक्रांति का महत्व:
शास्त्रों में कुंभ संक्रांति की महिमा वर्णित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति का महत्व पू्र्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि से ज्यादा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें पापों से मुक्ति मिलती है। कुंभ संक्रांति के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति 2022 शुभ मुहूर्त व महा पुण्य काल:
वैदिक पंचांग के अनुसार, सूर्य देव का कुंभ राशि में प्रवेश 13 फरवरी को तड़के 03 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में कुंभ संक्रांति का पुण्य काल प्रात: 07 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा, जो दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। कुंभ संक्रांति पुण्य काल का समय 05 घंटा 34 मिनट का होगा, वहीं कुंभ संक्रांति का महा पुण्य काल 07 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 53 मिनट तक है। महा पुण्य काल की अवधि 01 घंटा 51 मिनट की है। (यह भी पढ़ें)- प्रतिष्ठा के दाता सूर्य और देवताओं के गुरु बृहस्पति की बन रही युति, इन 4 राशि की धन- दौलत में अपार बढ़ोतरी के आसार
संक्रांति पर स्नान और दान का महत्व:
- कुंभ संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुख-समृद्धि पाने के लिए इस दिन मां गंगा की आरती करनी चाहिए।
- कुंभ संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की विधिवत पूजा-अर्चना करने से परिवार के सदस्यों के ऊपर मुसीबत नहीं आती है। साथ ही रोगों से छुटकारा मिलता है।
- कुंभ संक्रांति पर जरुरतमंदो के बीच वस्त्र और अन्न का दान करने से दोगुना पुण्य मिलता है। इसके अलावा इस दिन सूर्य के बीज मंत्र का जाप करने से जल्द ही दुखों से छुटकारा भी मिलता है।
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