Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: कई बार होता है कि आप खूब पूजा पाठ करते हैं और भगवान के प्रति पूरी श्रद्धा रखते हैं। लेकिन आपको वैसे फलों की प्राप्ति नहीं होती है जैसी कि आपने इच्छा की है। ऐसे में आप खुद और भगवान को कोसने लगते हैं। वहीं कुछ लोग आपके आसपास ऐसे होंगे, जो किसी पूजा-पाठ किए बगैर खूब सफलता हासिल होने के साथ अमीर होता है। ऐसे ही एक सवाल प्रेमानंद महाराज से एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने पूछा। उन्होंने महाराज जी से कहा कि कुछ लोग तो पूजा-पाठ भी नहीं करते फिर भी इतने सफल क्यों हैं? इसका जवाब प्रेमानंद महाराज जी ने कुछ इस तरह से दिया…
नाम जप करते हुए बार-बार प्रारब्ध उसको गिराता है तो वह कैसे? प्रारब्ध क्या गिराता है? बार-बार फेल होता है, उसे पढ़ाई से ही अलग कर दिया। हम कह रहे हैं हमारे प्रश्न जितने भी आएंगे हमारे ही क्लास के चैप्टर के आते हैं कि और क्लास के आते हैं? नौकरी वाले जैसे वो नौकरी के लिए एग्जाम दिया जाता है, नौकरी का एग्जाम जो दिया जाता है। अगर हम सर्वतोभाविन परिपक्व हैं और फिर हमको नौकरी नहीं मिल रही, तो हमें संतोष करना चाहिए कि हम किसी बुरे कर्मों का प्रारब्ध भोग रहे हैं और हमें बैठना नहीं चाहिए, हमें दूसरा प्रयास करना चाहिए। हर बार प्रारब्ध अगर फेल कर रहा है तो हम दूसरे चैप्टर में आ जाते। नौकरी नहीं है तो पढ़े-लिखे हो, कोई छोटा व्यापार कर लो, कुछ नहीं तो लेबरी के मिलते हैं। आठ घंटे हम इज्जत से कमाएंगे और अपने माता-पिता, परिवार की सेवा करेंगे। हमें निराश होने की जरूरत नहीं, हमें हताश होने की जरूरत नहीं।
बेईमानी, गंदे आचरण, कायर बने बैठे रहना, यह बिल्कुल ठीक नहीं। रिक्शा चलाते हैं, 500-1000 रुपया दिन में कमा लेते हैं, अपने परिवार का पोषण करते हैं। इसमें कोई बेइज्जती की थोड़ी बात है? अपने परिवार को सम्मानपूर्वक हम खवा-पिला रहे हैं। हम चलो, हमारा बुरा प्रारब्ध है, नौकरी नहीं मिल रही, हम नहीं बन पा रहे हैं डीएम। तो हमें जरूरी थोड़ी कि डीएम बन के ही हमारा जीवन चलेगा? हम एक लेबर बनके भी जीवन… और एक आदमी अगर उद्योगशील है, प्रयत्नशील है तो लेबर से आगे बढ़ता चला जाएगा, आगे बढ़ता चला जाएगा। आप निश्चित मानिए, छोटे व्यापार से आदमी अरबपति बन जाएगा, पर धीरे-धीरे, क्रमसा करते-करते। ऐसे तो हमें लगता है कि हमें निराशा तो होनी नहीं है और भगवान पर अविश्वास करना नहीं, हमको श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए तो हमारा मंगल हो जाएगा।
अपने कर्मों को भोगना पड़ता है, फिर आगे हम बढ़ते हैं, कर्म संस्कार मिट जाए। देखो, कितने लोग ऐसे हैं जो पापी हैं, वास्तविक पापी हैं, उनको राम, कृष्ण, हरि से कोई मतलब नहीं। वो शराब पीते हैं, मुर्गा-मांस खूब खाते हैं, दुनिया के जितने पाप हैं सब करते हैं, लेकिन उनको जुखाम नहीं है, उनको कोई परेशानी नहीं। क्यों? क्योंकि इस समय पुण्य का प्रारब्ध चल रहा है और भोग लेने दो पुण्य। और यह पाप, और वह पाप का जहां कनेक्शन हुआ फिर पता चल जाएगा कि क्या है जीवन। आज तुम धर्मात्मा हो, धर्म से चल रहे हो, नाम जप कर रहे हो, वर्तमान में पुण्य कमा रहे हो, लेकिन पूर्व का प्रारब्ध तुम्हें परेशान कर रहा है। जिस समय पूर्व का प्रारब्ध नष्ट होगा, वर्तमान का और पूर्व का पुण्य मिलेगा, ऐसे चमक जाओगे, ऐसे प्रकाशित हो जाओगे। आदमी को समझना चाहिए अगर हम धर्म से चल रहे हैं तो हमें पता है मैं गलत नहीं हूं और फिर मुझे गलत परिणाम मिल रहा है, तो मुझे पता है मेरे कर्म का फल है। हमें निराश नहीं होना। अच्छा, एक साइड में हमें कर्म रोकेगा, तो हम दूसरे साइड में भागते हैं। हम व्यापार में भागते हैं, हम नौकरी के लिए छोड़ देते हैं।
प्रारब्ध बड़ा प्रबल होता है। नहीं, भगवान के नाम से नाम जप तो करते हैं, पर नहीं। नाम जप से प्रबल नहीं होता? तुम्हारे सामने बैठ होते, अस्पताल में पड़े होते, बार-बार गिराता है महाराज। तो हमको भी तो रोज डायलिसिस होता है, हम मस्त नहीं? तुम दिखाई दे रहे बीमार, नजर आ रहे, तो फिर हम मस्त रहते हैं। जोई जोई प्यारो करे, सोई भावे। तो भगवान के भरोसे रहो, नाम जप करो। तो अच्छा हम वही हैं, कई-कई दिन भोजन नहीं पाया, कई-कई दिन भोजन नहीं। तुम अगर हमारी बात सुनोगे तो तुम्हें विश्वास नहीं होगा। बालू खाई है, गंगा जी की बालू। भूख से व्याकुल हो गए तो ऐसे बालू उठाए, उसके जो शंख के टूटे-टूटे होते, वो फेंका। ऐसे चार-पांच अंजलि गंगाजल पिया, कुछ आ ही नहीं महाराज जी। उस समय आपने यह नहीं सोचा कि भगवान तो देख ही रहे हैं कि हम भूखे, तो इतना कठोर? अरे, हम भगवान के देखने के चक्कर में थे। भगवान हमें देख रहे हैं सोचने की जगह, हमें देखना चाहिए कैसे-कैसे मिलें, कैसे उनको देखें। वो हमें देख रहे हैं सब कुछ।
महाराज, कठोर नहीं है भगवान। जब बाजरा खा रहे तो इतना तो थोड़ा दया करनी चाहिए भगवान को कि बाजरा ही खवा रहे? एक बार, एक बार देख लिया ना उन्होंने कि कितना समर्पण है। महाराज जी परीक्षा लेते हैं भगवान बहुत तेजी से। अगर एक बार उनकी परीक्षा में पास हो गए, तो बस फिर निहाल कर देते। महाराज कई बार लेते हैं। नहीं, एक बार का मतलब होता है हर डिपार्टमेंट में लेते हैं। खानपान, देखना-सुनना, परिवार। ऐसा न साल से हमारी परीक्षा ही ले रहे हैं बार-बार। इसलिए नहीं, तो कृपा भी तो के… आप हमारे सामने बैठकर बातें सुन रहे हो उनकी, तो ये कृपा नहीं उनकी? हां, तो कृपा न होती तो आप हमारे सामने न आ पाते। बिना भगवान की कृपा के नहीं। आपकी ही कृपा से नाम जप चल रहा है। आप चिंता न करो। एक दिन तुम देख लेना, सुदामा जी को कई-कई दिन भोजन नहीं मिलता था और आखिरी परिणाम यह हुआ कि जैसी द्वारिकापुरी, वैसी सुदामा पुरी। आपके ही धन, विश्वास में।
अभी तक न चलो यार तुम, चलो पार हो जाओगे। हमारी बात मान लो। अमीरी-गरीबी यहां की झंझट है, वहां के लिए तो तुम बिल्कुल तैयार हो रहे हो ना? अच्छे आचरण कर रहे हो, बुरा आचरण नहीं कर रहे। बहुत अच्छे से चलो, आप बिल्कुल अच्छे से समझो। मतलब हर सीन देखे हुए भगवान की। कठिन है महाराज? हां, कठिन तो है ही अब, कठिन तो है ही। लेकिन भगवान से जुड़े रहने में कोई कठिन नहीं। प्राण देना भी कोई कठिन नहीं लगता जब चले तो। नहीं, विश्वास हो सके, दुखी मत हो, मस्त रहो यार, मस्त। मनुष्य जीवन मस्ती के लिए मिला है, तू मस्त रहो। हम पक्का कह रहे। अब क्या-क्या जो बताएंगे तुम्हें उपहास सा लगेगा। नीचे कुशासन या वृंदावन में और सर्दी में उड़ने के लिए कंबल नहीं था। टाट जो होते ना बोरा, जो गेहूं के, वो उड़ते थे, बोरा। और पेट भरने के लिए रोटी मांग लाते थे, सब्जी नहीं थी।
तो एक ब्रजवासी थे, तो आंवले की ठूंठ जो होती है ना, वो सूखी भाई, कंडिया जिसे कहते हैं। तो वो चार निकाल के ऐसे कटोरी में रख जाते। रोटी मांग के लाते। हो ऐसे-ऐसे करके ऐसे जब खाने लायक सेत दिया नहीं और जब पोजल दिया तो खाने लायक नहीं रह गए। किडनी फेल हो गई तो लीवर भी परेशान, उससे थोड़ी बड़ा लीला बिहारी है। अब बिल्कुल हम आपसे कह रहे, निश्चिंत रहो। एक दिन अभी, इसी समय, धनी हो आप। क्योंकि आपके पास जो नाम रूपी धन है, वह अविनाशी है। बच्चा कबीरा सब जग निर्धना, धनवंता नहीं कोई। धनवंता सोई जानिए जाके राम नाम धन हो। आज थोड़ी गरीबी है तो कल अमीरी भी आ जाएगी। गरीबी-अमीरी है जीवन काटने के लिए, लेकिन जिसके लिए जीवन है, वह आप कर रहे हो, भगवान के लिए कर रहे हो। इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।
नवंबर माह कुछ राशि के जातकों के लिए काफी खास हो सकता है। नवंबर माह में हंस राजयोग, नवपंचम राजयोग, रुचक, विपरीत राजयोग का निर्माण हो रहा है, जिससे 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलने वाला है। आइए जानते हैं। 12 राशियों के लिए नवंबर माह कैसा होगा। जानें मासिक राशिफल
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