Aaj Chand Kitne Baje Niklega, Krishna Janmashtami Puja Muhurat, Aarti Lyrics, Katha, Moonrise Time: हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भक्तिभाव के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि कि भादो कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 16 अगस्त 2025 को कृष्ण जी का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, बाल गोपाल का श्रृंगार करते हैं और उन्हें माखन, मिश्री, तुलसी पत्ते जैसी प्रिय वस्तुएं अर्पित करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत कथा, आरती सहित अन्य जानकारी…..
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त
- कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त – 16 अगस्त को तड़के 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
- कुल अवधि- केवल 43 मिनट
- मध्यरात्रि का क्षण – 16 अगस्त को सुबह 12:26 पर
- चन्द्रोदय समय – रात 11:32 बजे
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का समय
- रोहिणी नक्षत्र आरंभ – 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 38 मिनट से
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 18 अगस्त को सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक
श्री कृष्ण भजन। कान्हा पूजा विधि। जन्माष्टमी व्रत कथा। जन्माष्टमी पूजन सामग्री। जन्माष्टमी पर करें राशिनुसार पूजा। श्री कृष्ण आरती। जन्माष्टमी के नियम। शहर के अनुसार जन्माष्टमी का मुहूर्त। जन्माष्टमी नाल छेदन विधि
कान्हा के भोग में जरूर रखें तुलसी दल
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के समय जब भोग लगाएं, तो उसमें कुछ पत्ते तुलसी की अवश्य रखें। इसके बिना वह भोग ग्रहण नहीं करते हैं। तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। इसलिए उनके अवतार श्री कृष्ण को भी तुलसी अति प्रिय है।
मोर पंख से करें वास्तु दोष दूर
अगर आपके घर में वास्तु दोष है, तो कान्हा के जन्म के बाद मोर पंख की पूजा कर लें। इसके बाद इसे घर की पूर्व दिशा में रख दें। ऐसा करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ जाएगी।
श्री कृष्ण का बीज मंत्र
कान्हा के जन्मोत्सव के समय इस बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:‘
कान्हा जी के प्रिय भोग लिस्ट
माखन- मिश्री
मेवा मिठाई
धनिया पंजीरी
पंचामृत
शहद
खीरा
तुलसी
जन्माष्टमी की पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मध्य रात्रि को 12 बजे के बाद कान्हा जी का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें साफ और नए वस्त्र पहनाएं। फिर मुरली, मुकुट, बाजूबंद आदि सजाकर इत्र लगाएं और श्रृंगार पूरा करें। इसके बाद माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें। शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती भी जलाएं। अब उन्हें झूले में झुलाएं और भजन-कीर्तन करें।अंत में आरती करें और अपनी क्षमता के अनुसार दान या दक्षिणा अर्पित करें।
जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2025 Live)
जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त 17 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर चांद कितने बजे निकलेगा 2025 (Janmashtami Par Chand Nikalne Ka Time 2025)
मथुरा-वृंदावन – 11:33 PM
नई दिल्ली – 11:32 PM
नोएडा – 11:31 PM
गुरुग्राम – 11:33 PM
चण्डीगढ़ – 11:28 PM
मुंबई – 12:13
चेन्नई – 11:55 PM
जयपुर – 11:42 PM
हैदराबाद – 11:53 PM
बेंगलुरु – 12:06 PM
अहमदाबाद – 12:05 PM
कोलकाता – 11:00 PM
मथुरा-वृंदावन में चांद कितने बजे दिखेगा
मथुरा में जन्माष्टमी का चांद रात 11 बजकर 33 मिनट पर दिखाई देगा।
नोएडा में चांद कितने बजे दिखेगा (Janmashtami 2025 Live)
नोएडा में जन्माष्टमी का चांद रात 11 बजकर 31 मिनट पर दिखाई देगा।
दिल्ली में चांद कितने बजे दिखेगा (Janmashtami 2025 Live)
दिल्ली में जन्माष्टमी का चांद रात 11 बजकर 32 मिनट पर दिखाई देगा।
जन्माष्टमी 2025 पर चांद निकलने का समय (Janmashtami 2025 Live)
जन्माष्टमी के दिन चांद निकलने का समय रात 11:32 बजे है।
श्री कृष्ण की आरती (Shri Krishna Aarti)
आरती कुंजबिहारी की,
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवन में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की.
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली.
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक; ललित छवि श्यामा प्यारी की.
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं.
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचग मुधर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की.
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… आरती कुंजबिहारी की… श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा.
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी शिव शीश, जटाके बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की.
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… आरती कुंजबिहारी की… श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुनु दीन भिखारी की.
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की… आरती कुंजबिहारी की… श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
भगवान श्री कृष्ण के मंत्र (Krishna Janmashtami Live)
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्,
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
जन्माष्टमी व्रत पारण का समय (Krishna Janmashtami Live)
कुछ भक्त जन्माष्टमी व्रत का पारण मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के बाद करते हैं, वहीं कुछ श्रद्धालु अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलते हैं। इस बार अर्धरात्रि में व्रत पारण 17 अगस्त को रात 12:47 बजे के बाद किया जाएगा, जबकि 17 अगस्त को सुबह 5:51 बजे व्रत पारण करना उत्तम रहेगा।
श्री कृष्ण चालीसा ( Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम ॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज ॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥
जय नट-नागर नाग नथैया ।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी ।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥
रंजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजयंती माला ॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे ।
कटि किंकणी काछन काछे ॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥10
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो ।
अका बका कागासुर मारयो ॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला ।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई ।
मसूर धार वारि वर्षाई ॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नखधारि बचायो ॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई ॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ॥
करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥
केतिक महा असुर संहारयो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ॥20
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहं राज दिलाई ॥
महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा ॥
असुर बकासुर आदिक मारयो ।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे ।
दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥
लखि प्रेम की महिमा भारी ।
ऐसे श्याम दीन हितकारी ॥
भारत के पारथ रथ हांके ।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके ॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये ।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ॥30
मीरा थी ऐसी मतवाली ।
विष पी गई बजाकर ताली ॥
राना भेजा सांप पिटारी ।
शालिग्राम बने बनवारी ॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो ।
उर ते संशय सकल मिटायो ॥
तब शत निन्दा करी तत्काला ।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई ।
दीनानाथ लाज अब जाई ॥
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला ।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया ।
डूबत भंवर बचावत नैया ॥
सुन्दरदास आस उर धारी ।
दयादृष्टि कीजै बनवारी ॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो ।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो ॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै ।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ॥40
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि॥
जन्माष्टमी पर कान्हा के जन्मोत्सव के समय ऐसे करें नाल छेदन (Janmashtami 2025 Live)
जन्माष्टमी के दिन कान्हा के जन्मोत्सव के समय खीरा से नाल छेदन करना काफी शुभ माना जाता है। जानें नाल छेदन करने की विधि और महत्व
Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर कान्हा का जन्म खीरा के बिना है अधूरा, जानिए कृष्ण जन्मोत्सव पर कैसे करें नाल छेदन
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त – 16 अगस्त को तड़के 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
कुल अवधि- केवल 43 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण – 16 अगस्त को सुबह 12:26 पर
चन्द्रोदय समय – रात 11:32 बजे
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन सामग्री (Janmashtami 2025 Puja Samagri List)
श्रीकृष्ण की मूर्ति
एक लोटे में जल
आधा मीटर सफेद कपड़ा
आधा मीटर लाल कपड़ा
अपनी योग्यता के अनुसार पंच रत्न
फूल
माला
केसर
चंदन
कुमकुम
5 यज्ञोपवीत
अबीर
गुलाल
अभ्रक
हल्दी
चावल (अक्षत)
आम के पत्ते
श्री कृष्ण के लिए वस्त्र
आभूषण
धनिया की पंजीरी
माखन-मिश्री
तुलसी दल
मुकुट
मोर के पंख
बांसुरी
सिंहासन
झुला
सुपारी
पान के पत्ते
लकड़ी की चौकी
कमलगट्टा
तुलसी माला
खड़ी धनिया
गंगाजल
शहद
शकर
घी
डंडी के साथ खीरा
दही
दूध
मक्खन
मौसमी फल
दीपक
धूप, अगरबत्ती
कपूर
सप्तमृत्तिका
नैवेद्य या मिष्ठान्न
छोटी इलायची
लौंग
इत्र
पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
पंचामृत
तुलसी दल
बन्दनवार
ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
श्रीफल (नारियल)
धान्य (चावल, गेहूं, जौ,ज्वार)
एक नई थैली में हल्दी की गांठ
झांकी सजाने के लिए सामान
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का समय (Shri Krishna Janmashtami 2025 Rohini Nakshatra)
रोहिणी नक्षत्र आरंभ – 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 38 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 18 अगस्त को सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की पूजा विधि (Janmashtami 2025 Puja Vidhi)
जन्माष्टमी के दिन प्रातः स्नान-ध्यान के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें और ईशान कोण में एक चौकी पर पीला या केसरिया कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या लड्डू गोपाल की स्थापना करें। खुद के लिए भी आसन बिछाएं और उस पर बैठकर पहले पवित्र जल से अपने ऊपर, फिर भगवान श्रीकृष्ण पर जल छिड़कें। अब भगवान के बाल स्वरूप का ध्यान करते हुए पूजा की सफलता के लिए प्रार्थना करें। अब भगवान श्रीकृष्ण को एक बड़े पात्र में रखकर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं और स्वच्छ कपड़े से पोंछ दें। फिर पीतांबर वस्त्र, आभूषण और मुकुट पहनाकर उनका सुंदर श्रृंगार करें। माथे पर गोपी चंदन, रोली, हल्दी या केसर का तिलक लगाएं। इसके बाद उन्हें पुष्प-माला, तुलसी दल और दूर्वा अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में माखन-मिश्री, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें और प्रसाद पर जल फेरकर उन्हें समर्पित करें। पूजा के दौरान श्रीकृष्ण चालीसा, मंत्र या स्तोत्र का पाठ करें। आखिरी में कान्हा की आरती करें और पूजा में हुई भूल चुक के लिए क्षमा मांगें।
शहर के हिसाब से जन्माष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2025 LIVE)
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः:
ऊं गोकुल नाथाय नमः
ऊं क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः
ऊं नमो भगवते श्रीगोविन्दाय:
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्रीं
ऊं नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय नम:
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त (Janmashtami 2025 LIVE)
पुणे- 17 अगस्त 12:16 ए एम से 01:01 ए एम
वृंदावन- 16 अगस्त को देर रात 12.04 बजे से रात 12.47 तक
नई दिल्ली- 17 अगस्त 12:04 ए एम से 12:47 ए एम,
चेन्नई- 17 अगस्त को 11:50 पी एम से 12:36 ए एम,
जयपुर- 17 अगस्त को 12:09 ए एम से 12:53 ए एम,
हैदराबाद- 17 अगस्त को 11:58 पी एम से 12:43 ए एम
गुरुग्राम -17 अगस्त को 12:04 ए एम से 12:48 ए एम,
चंडीगढ़- 17 अगस्त को 12:06 ए एम से 12:49 ए एम
कोलकाता- 17 अगस्त को 11:19 पी एम से 12:03 ए एम
मुम्बई- 17 अगस्त को 12:20 ए एम से 01:05 ए एम
बेंगलूरु- 17 अगस्त को 12:01 ए एम से 12:47 ए एम
अहमदाबाद- 17 अगस्त को 12:22 ए एम से 01:06 ए एम
नोएडा- 17 अगस्त को 12:03 ए एम से 12:46 ए एम
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त (Janmashtami 2025 LIVE)
कृष्ण जन्माष्टमी का पूजन मुहूर्त 17 अगस्त की अर्धरात्रि 12 बजकर 4 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा, जिसके लिए कुल 43 मिनट का समय मिलेगा।
श्री कृष्ण चालीसा ( Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम ॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज ॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥
जय नट-नागर नाग नथैया ।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी ।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥
रंजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजयंती माला ॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे ।
कटि किंकणी काछन काछे ॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥10
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो ।
अका बका कागासुर मारयो ॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला ।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई ।
मसूर धार वारि वर्षाई ॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नखधारि बचायो ॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई ॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ॥
करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥
केतिक महा असुर संहारयो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ॥20
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहं राज दिलाई ॥
महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा ॥
असुर बकासुर आदिक मारयो ।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे ।
दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥
लखि प्रेम की महिमा भारी ।
ऐसे श्याम दीन हितकारी ॥
भारत के पारथ रथ हांके ।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके ॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये ।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ॥30
मीरा थी ऐसी मतवाली ।
विष पी गई बजाकर ताली ॥
राना भेजा सांप पिटारी ।
शालिग्राम बने बनवारी ॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो ।
उर ते संशय सकल मिटायो ॥
तब शत निन्दा करी तत्काला ।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई ।
दीनानाथ लाज अब जाई ॥
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला ।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया ।
डूबत भंवर बचावत नैया ॥
सुन्दरदास आस उर धारी ।
दयादृष्टि कीजै बनवारी ॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो ।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो ॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै ।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ॥40
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि॥
भगवान कृष्ण अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् (Janmashtami 2025 LIVE)
ॐ श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः।
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः॥1॥
श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः।
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशङ्खाम्बुजायुधः॥2॥
देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः।
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः॥3॥
पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः।
नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः॥4॥
नवनीतनवाहारी मुचुकुन्दप्रसादकः।
षोडशस्त्रीसहस्रेशस्त्रिभङ्गो मधुराकृतिः॥5॥
शुकवागमृताब्धीन्दुर्गोविन्दो गोविदाम्पतिः।
वत्सपालनसञ्चारी धेनुकासुरभञ्जनः॥6॥
तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः।
उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः॥7॥
गोपगोपीश्वरो योगी सूर्यकोटिसमप्रभः।
इलापतिः परंज्योतिर्यादवेन्द्रो यदूद्वहः॥8॥
वनमाली पीतवासाः पारिजातापहारकः।
गोवर्धनाचलोद्धर्ता गोपालः सर्वपालकः॥9॥
अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः।
मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली॥10॥
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त (Janmashtami 2025 LIVE)
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त – 16 अगस्त को तड़के 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
कुल अवधि- केवल 43 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण – 16 अगस्त को सुबह 12:26 पर
चन्द्रोदय समय – रात 11:32 बजे
लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहने हुए के साथ सिर पर छोटा सा मुकुट और उसमें लगा हुआ मयूर पंख। उनका रंग श्यामल और मुख पर हल्की मुस्कान होती है, जो देखने वाले को तुरंत आकर्षित करती है।असल में बाल गोपाल का स्वरूप कैसा है। इस बारे में स्कंद पुराण में विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं स्कंद पुराण में श्री कृष्ण का बाल स्वरूप कैसा था…
माखन-मिश्री बाल गोपाल को सबसे प्रिय भोग है। इसे लगाने से वह अति प्रसन्न होते है।
हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
ए गौवे चराने आयो जय यशोदा लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की,
गैया चराने आयो जय यशोदा लाल की ॥
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
हे आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय यशोदा लाल की ॥
आनंद से बोलो सब जय हो ब्रज लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में पूजा-अर्चना की।