आज भारत के साथ-साथ कई देशों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन यानी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र को आधी रात यानी 12 बजे कान्हा का जन्म हुआ था। इसी के कारण हर साल इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल की कृष्ण जन्माष्टमी काफी खास है, क्योंकि इस दिन वैसा ही संयोग बन रहा है जैसे आज से 5241 साल पहले यानी द्वापर युग पर बना था। आज के दिन रोहिणी नक्षत्र के साथ जयंत योग के साथ वृषभ राशि में चंद्रमा और सिंह राशि में सूर्य देव विराजमान है। जयंत योग में श्री कृष्ण की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कान्हा की विधिवत पूजा करने के साथ कृष्ण मंत्र, चालीसा का पाठ करने के बाद अंत में आरती अवश्य करें। आइए जानते हैं श्री कृष्ण की संपूर्ण आरती…

Krishna Ji Ki Aarti: यहां पढ़े श्री कृष्ण जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

श्री कृष्ण की आरती (Shri Krishna Aarti)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

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