Krishna Chhati 2023: हिंदू धर्म के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसके 6 दिन बाद उनकी छठी देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है। जिस तरह से घर में जन्मे बच्चे की छह दिन बाद छठी मनाते हैं और चावल और कढ़ी बनाई जाती है। बिल्कुल इसी तरह कान्हा की भी छठी मनाई जाती है। जानिए श्री कृष्ण की कि तरह मनाएं छठी, साथ ही जानें मंत्र।

श्री कृष्ण की छठी पर बना शुभ योग

अश्लेषा नक्षत्र- पूरा दिन होते हुए रात 11 बजकर 1 मिनट तक
शिव योग- सुबह 12 बजकर 13 मिनट से 13 सितंबर को सुबह 1 बजकर 11 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 6 बजकर 16 मिनट से रात 11 बजकर 1 मिनट तक

क्यों मनाते हैं श्री कृष्ण की छठी?

हिंदू धर्म में छठी कर्म का विशेष महत्व है। जब किसी घर में बच्चे का जन्म होता है, तो विभिन्न तरह की परंपराएं निभाई जाती है। इन्हीं में से एक छठी होती है, जो बच्चे के जन्म के 6 दिन के बाद मनाते हैं। अगर किसी कारण वश 6 दिन में नहीं मना पाएं, तो 6 बाद के बाद मनाई जाती है। इस दिन षष्ठी देवी की विधिवत पूजा की जाती है और उनसे कामना की जाती है कि बच्चा स्वस्थ रहें। षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। ऐसे ही भगवान कृष्ण के जन्म के 6 दिन बाद छठी का पर्व मनाया जाता है। आज देशभर में इसे धूमधाम से मनाया जाएगा।

श्री कृष्ण की छठी बनाने की विधि

आज भगवान कृष्ण को स्नान कराना चाहिए। सबसे पहले एक पात्र में श्री कृष्ण की मूर्त रख लें। इसके बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ। इसके बाद गंगाजल और साफ जल से स्नान कराने के बाद साफ वस्त्र से पोंछ लें। इसके बाद उन्हें नए पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं। श्री कृष्ण को पीले रंग के वस्त्र अति प्रिय है। इसके साथ ही उन्हें आभूषण, मोर पंख लगा मुकुट और बांसुरी चढ़ाएं। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले उन्हें फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ा दें। इसके बाद उन्हें माखन-मिश्री या किसी मिठाई का भोग लगा दें। इसके बाद जल चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत आरती कर लें इसके साथ ही उनके मंत्र आदि का जाप कर लें। फिर उन्हें उनके विभिन्न नाम जैसे बाल गोपाल, कान्हा, नंदलाला जैसे नामों से पुकारें। अंत में कान्हा की आरती कर लें। फिर सभी को प्रसाद अर्पित कर दें। इसके साथ ही घर में कढ़ी चावल ही बनाएं।

श्री कृष्ण मंत्र

  • कृं कृष्णाय नमः
  • ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
  • हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे
  • ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा
  • ओम क्लीम कृष्णाय नमः
  • श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा