Kojagiri Purnima 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी। इसी के कारण आज के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि कोजागरी पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी  की पूजा करने व्यक्ति के हर दुख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही धन-संपदा की प्राप्ति होती है। कोजागरी पूजा निशिता काल में करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कोजागरी पूर्णिमा पर कैसे करें मां लक्ष्मी की पूजा,शुभ मुहूर्त और मंत्र

कोजागर पूजा 2023 पूजा मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 28 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर
निशिता काल का पूजा मुहूर्त- रात 11 बजकर 42 मिनट से 29 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 30 मिनट तक
अवधि 00 घंटे 49 मिनट
कोजागरी पूजा के दिन चंद्रोदय– शाम 05 बजकर 41 मिनट

कोजागरी पूजा पर बन रहे शुभ योग

कोजागरी पूर्णिमा के दिन बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग, गजकेसरी योग, शश योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ योग में मां लक्ष्मी का आगमन पृथ्वी पर होगा। इससे हर व्यक्ति को लाभ ही लाभ मिलेगा।

कोजागरी लक्ष्मी की पूजा विधि

सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, सिंदूर और अक्षत डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को जल चढ़ाने के बाद कमल  या कोई अन्य लाल फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, रोली लगाने के साथ खीर या फिर अन्य किसी मिठाई का भोग लगाएं। इसके साथ ही एक पान में दो लौंग, एक इलायची, एक सुपारी, सिक्का, एक बताशा रखकर चढ़ा दें। इसके बाद जल चढ़ाएं। फिर घी का दीप और धूप जला लें। फिर विधिवत मंत्र, चालीसा का पाठ करने के बाद आरती कर लें। इसके साथ ही चंद्रोदय के समय आरती कर लें। 

मां लक्ष्मी मंत्र

बीज मंत्र

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।

अन्य मंत्र

ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥