हिंदू धर्म में बहुत से लोग अपनी भक्ति के अनुसार भगवान की पूजा करते हैं। किसी भी प्रकार से की जाने वाली यह पूजा और प्रार्थना मनुष्य द्वारा किया गया शुद्ध अभिवादन है जो ईश्वर को प्रसन्न करता है। प्रभु की आराधना करना न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य भी है।
भगवान की पूजा आपके जीवन को सही रास्ते पर लाने का भी एक तरीका है। इसलिए यह देखा गया है कि जिन लोगों पर ईश्वर की कृपा होती है, वे अपने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं से निपटने का साहस रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिन लोगों के पास भगवान के आशीर्वाद की कमी है वे अपना पूरा जीवन कठिनाइयों में व्यतीत करते हैं।
ऐसे में अक्सर हमारे मन में एक सवाल उठता है कि क्या हम पर भगवान की कृपा है या नहीं? या भगवान हम पर कब आशीर्वाद बरसाएंगे? या भगवान हमारी चिंताओं का अंत कब करेंगे? आज आपको ज्योतिष शास्त्र की मदद से आपको यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आप अपनी कुंडली देखकर जान सकते हैं कि आप पर भगवान का आशीर्वाद है या नहीं-
कुंडली में इन संकेतों के जरिए जानिए भगवत कृपा
- यदि किसी जातक की कुंडली में दशम भाव का स्वामी बुध में स्थित हो और उस पर अनेक शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह स्थिति दर्शाती है कि जातक पर सदैव ईश्वर की कृपा बनी रहेगी।
- इसके अलावा यदि किसी जातक की कुंडली का नवमेश उच्च हो और उस पर चंद्रमा, बुध, शुक्र या बृहस्पति जैसे शुभ ग्रहों की दृष्टि भी हो तो वह देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने में सफल होता है।
- यदि कुंडली में नवमेश पूर्ण बली हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो यह स्थिति जातक पर भगवान की पूर्ण कृपा दृष्टि बनाए रखने में मदद करती है।
- जब लग्न पर अथवा लग्न के स्वामी पर नवमेश की दृष्टि हो तो जातक को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती रहती है।
- कुंडली में यदि नवमेश (नवें भाव का स्वामी) गुरु के साथ युति करता हो और षडवर्ग में मजबूत स्थिति में हो या लग्नेश (लग्नेश के स्वामी) पर बृहस्पति की दृष्टि भी हो तो जातक भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए सफल हो सकता है।
- जब नवमेश चतुर्थ भाव में दशम भाव का स्वामी केंद्रीय स्थिति में होता है तो ऐसी स्थिति भी जातक पर ईश्वर की कृपा बरसाती रहती है।