आज शुक्रवार 15 दिसंबर 2017 को शाम करीब 4 बजे सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने जा रहा है। इस दिन को पौष संक्रांति या धनु संक्रांति भी है। धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव के पूजन का महत्व माना जाता है। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक किसी भी तरह का शुभ और मंगल कार्य नहीं किया जाता है। इस माह को खरमास माह के नाम से जाना जाता है। धनु संक्रांति से शुरु होने वाले और मकर संक्रांति तक खरमास माह की अवधि रहती है। इस माह को खरमास कहे जाने के लिए एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार माना जाता है कि सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ में पूरे संसार का चक्कर लगा रहे थे। संसार का चक्कर लगाते हुए उनके घोड़ों को प्यास लग गई और वो परेशान हो गए। रास्ते में उन्हें एक तालाब मिला और सूर्यदेव नें घोड़ों को पानी पिलाने के लिए रथ वहां रोक दिया।
घोड़े पानी पीने के लिए चले गए। पानी पीने के बाद घोड़ों को थकान महसूस होने लगी लेकिन सूर्यदेव को सृष्टि के लिए लगातार चलते रहना होता है। जिसके लिए उन्हें अपनी पूरी शक्ति के अनुसार चलना था। इस नियम को पूरा करने के लिए सूर्यदेव ने तालाब के पास से दो गधों को लिया और उन्हें अपने रथ में लगा लिया। इसके बाद उन्होनें फिर चक्कर लगाना शुरु कर दिया। पूरे एक माह तक सूर्यदेव गधों पर चलते रहे इस कारण से उनकी गति धीरे हो गई। गधे और घोड़ों की चाल में अंतर होता है जिसके कारण उनकी चाल भी धीरे हो गई।
एक माह पूरा होने के बाद सूर्य ने जब मकर राशि में प्रवेश किया तो वो फिर से अपने सात घोड़ों पर सवार हो गए। इस माह के लिए मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में पितामह भीष्म भी खरमास के माह में धाराशायी हुए थे। माना जाता है कि उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। खरमास की समाप्ति तथा सूर्य के उत्तरायण होने पर उन्होनें अपने शरीर का त्याग किया था। इस माह में भागवत कथा सुनने के अलावा कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
