पूजा-पाठ के दौरान अगरबत्ती का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि बिना इसके पूजा की कल्पना भी नहीं की जाती है। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास समय की कमी रहती है जिस वजह से वो विधि-विधान से पूजा-पाठ नहीं कर पाते हैं, लेकिन वो ये जरूर मानते हैं कि अगर घर के मंदिर में हर रोज एक अगरबत्ती जला दी जाए तो एक तरह से पूजा सम्पन्न हो जाती है। इसके अलावा बहुत सारे लोग जब कोई शुभ काम करते हैं तो इससे पहले अगरबत्ती जलाते हैं। इसलिए आज-कल के भागदौड़ वाली जिंदगी में अगरबत्ती का महत्व काफी बढ़ गया है। लेकिन शायद ये बात कम लोग जानते हैं कि पूजा-पाठ में अगरबत्ती जलाना धार्मिक दृष्टिकोण से अशुभ माना जाता है। आगे जानते हैं कि पूजा-पाठ में अगरबत्ती जलाना क्यों अशुभ माना गया है।

दरअसल बहुत सारी कंपनियां अगरबत्ती बनाने में बांस का इस्तेमाल करती हैं। जिसके बाद बांस की पतली सी लकड़ी पर सुगंधित लेप लगाया जाता है। कहते हैं कि सारी मुसीबत की जड़ बांस की पतली सी लकड़ी है। हिन्दू धर्म में बांस को जलाना वर्जित है। यहां तक कि किसी भी हवन या पूजा में बांस को नहीं जलाया जाता है। यहां तक कि चिता में भी बांस की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

अर्थी के लिए बांस का इस्तेमाल जरूर किया जाता है लेकिन उसे जलाया नहीं जाता। वहीं कई ग्रन्थों में यह भी लिखा गया है कि बांस को जलाने से पितृ दोष लगता है। एक शोध में हमारे पूर्वजों द्वारा बांस न जलाने की परंपरा को सही साबित किया गया है। हमारे देश के नहीं बल्कि इटली के दो शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह दावा किया है कि अगरबत्ती हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक है।