Pitambari Neelam Benefits: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों को शांत करने के लिए तंत्र, मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। रत्न धारण करने से काफी हद तक ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं पीतांबरी नीलम के बारे में। जिसका संबंध गुरु और शनि देव से माना जाता है। पीतांबरी नीलम में नीली और पीली दोनों आभा होती हैं। पीतांबरी नीलम पहनने से गुरु और शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं किन राशि के लोगों को पीतांबरी नीलम धारण करना चाहिए और इसे धारण करने की सही विधि…
इन राशि वालों को करता है सूट:
ज्योतिष शास्त्र अनुसार पीतांबरी नीलम कुंभ, मकर, धनु और मीन राशि के लोग धारण कर सकते हैं। लेकिन यहां हम ये देखना जरूरी होगा कि कुंडली में शनि या गुरु ग्रह नीच या शत्रु राशि में विराजमान न हो। साथ ही जन्मकुंडली में गुरु और शनि ग्रह उच्च के स्थित हों तो पीतांबरी नीलम धारण कर सकते हैं। वहीं शनि और गुरु अगर पंचम, नवम और दशम भाव में उच्च के विराजमान हो तो पीतांबरी नीलम धारण करना चाहिए।
धारण करने के लाभ
पीतांबरी नीलम को धारण करने से जातक की बुद्धि अच्छी होती है, तथा रचनात्मक एवं बौद्धिक विकास में भी वृद्धि होती है। पीतांबरी नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आता है। साथ ही उसके सोचने की क्षमता का विकास होता है। वैवाहिक जीवन में अगर दिक्कत रहती हो तो भी पीलांबरी नीलम धारण कर सकते हैं। अगर आपका कार्यक्षेत्र गुरु और शनि देव से जुड़ा हुआ है तो भी आप पीतांबरी नीलम धारण कर सकते हैं। पीतांबरी नीलम पहनने से धन संबंधी परेशानियां खत्म होती है। साथ ही आय के नए स्त्रोत बनते हैं।
इस विधि से करें धारण
रत्न शास्त्र अनुसार पीतांबरी नीलम को कम से कम सवा 7 से सवा 8 रत्ती का धारण करना चाहिए। साथ ही पीतांबरी नीलम पंचधातु में पहनना चाहिए। इसको गुरुवार या शनिवार को धारण कर सकते हैं। मध्यमा उंगली में पीतांबरी नीलम पहनना चाहिए। साथ ही पीतांंबरी नीलम धारण करने से पहले अंगूठी को गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करके धारण करना चाहिए।