कोई भी बुरी घटना जब आकस्मिक रूप से घटती है तो वह दुर्घटना कही जाती है। दुर्घटना केवल चोट-चपेट शारीरिक नहीं होती है। दुर्घटना आर्थिक, मानसिक और रिश्तों में भी हो सकती है। क्या आपको पता है कि कुंडली में दुर्घटना के योग कब बनते हैं? या इसके लिए कौन-कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं? जानते हैं।
सूर्य और चंद्रमा: दुर्घटनाओं के मामले में कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति बेहद खास महत्व रखता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चूंकि सूर्य और चंद्र व्यक्ति के डेली लाइफ को प्रभावित करते हैं। इसलिए सूर्य और चंद्रमा दुर्घटना के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार होते हैं। इसके बाद राहु, मंगल और शनि आते हैं
बृहस्पति, शुक्र या शुभ बुध और शुभ चंद्रमा हो तो ये दुर्घटनाओं से रक्षा करते हैं। यदि कुंडली में शनि-राहु की युति है या एक साथ बैठे हैं तो वाहन दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा कुंडली में लग्न के स्वामी का कमजोर होना भी शारीरिक नुकसान पहुंचाने की वजह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में जब मारक दशा चल रही होती है तो इसमें दुर्घटना होने से व्यक्ति के प्राण चले जाते हैं।
उपाय: ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली में शनि-राहु, सूर्य मंगल, सूर्य- शनि- मंगल और शनि-मंगल के योग हैं तो ऐसे में राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। अगर साढ़ेसाती या ढैया की वजह से दुर्घटना की स्थिति बन गई हो तो ऐसे में बजरंग बाण पढ़ें। साथ ही जब कुंडली में मारक दशा चल रही हो तब शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। यात्रा शुरू करने से पहले अपने गुरु या ईष्ट देव का ध्यान करना चाहिए।
