हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक दान करना शुभ माना गया है। वैसे तो दान के लाभ के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं। लेकिन दान के नुकसान के बारे में शायद कम लोग जानते होंगे। कई बार लोग ऐसा दान कर बैठते हैं जो आगे आने वाले समय में मुश्किल खड़ी कर देता है। शास्त्रों में दान की तीन विधियां बताई गई हैं। जिसे तीन दशाओं में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि दान किन दशाओं में दान करना निषेध माना गया है? साथ ही दान करने के क्या नुकसान हैं? इस संबंध में आज जानते हैं।
शास्त्रों में दान की तीन स्थितियों के बारे में वर्णन मिलता है। सबसे पहले दान कुंडली में खराब ग्रहों के लिए किया जाता है। यानि जो ग्रह कुंडली में खराब हैं, जिन ग्रहों को शांत करना है, उनके लिए दान किया जाता है। दूसरी स्थिति में किसी संकल्प के तहत या किसी व्रत-उपवास के बाद अन्न, वस्त्र और भोजन का दान किया जाता है। ताकि व्रत-उपवास का प्रयोजन सफल हो जाए। इसके अलावा तीसरा दान तब किया जाता है जब कोई शपथ लेते हैं या प्रतिज्ञा करते हैं कि अमुक काम सफल हो जाए। ऐसी स्थिति में भी दान किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार अगल-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग चीजों का दान किया जाता है। जो ग्रह कुंडली में खराब है, उसी के लिए दान करना अच्छा माना गया है। इसके विपरीत जब कुंडली में ग्रह की दशा ठीक है और उसके लिए दान किया जाता है तो वह नुकसानदेह साबित होता है। जैसे मेष लग्न में बृहस्पति का दान शुभ नहीं माना गया है। वृषभ लग्न में शनि की चीजों का दान अशुभ माना जात है। मिथुन लग्न में शुक्र की चीजें जैसे सफेद मिठाई आदि का दान नहीं करना चाहिए। कर्क लग्न में मंगल से संबंधित चीजों का दान नहीं किया जाता है।
सिंह लग्न में भी मंगल से संबंधित चीज का दान निषेध माना गया है। वहीं कन्या लग्न में शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान अशुभ माना गया है। तुला लग्न में शनि और बुध का दान नहीं करना चाहिए। वृश्चिक लग्न में बृहस्पति की चीजों का दान नहीं करना चाहिए। धनु लग्न में सूर्य से संबंधित चीजों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मकर लग्न में शनि और शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान वर्जित है। कुंभ लग्न में शुक्र से संबंधित चीजों का दान नहीं करना चाहिए। साथ ही अंतिम मीन लग्न में चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान नुकसानदेह माना गया है।
