हिंदू धर्म में होने वाले तमाम पूजा-पाठ में फूल, जल, राख इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। पूजा के बाद इनमें से कई सारी सामग्रियां बच भी जाती हैं। क्या आप जानते हैं कि इन बची हुई सामग्रियों की क्या उपयोगिता है? इसके किस तरह के प्रयोग से क्या लाभ मिल सकता है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। कहते हैं कि देवी-देवता की पूजा से बचे हुए चावल(अक्षत) को कभी भी नदी में प्रवाहित नहीं करना चाहिए। इसे एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख देना चाहिए। इसके साथ ही पूजा से बची हुई सामग्री को अपनी पॉकेट या घर में रखने के लिए भी कहा गया है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
देवी-देवताओं की पूजा में नारियल का इस्तेमाल भी खूब होता है। कहते हैं कि पूजा के बाद इस नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में बांट देना चाहिए। यदि प्रसाद के रूप में नारियल को बांटना संभव ना हो तो इसे हवन कुंड में होम भी किया जा सकता है। इसके अलावा लाल या सफेद रंग के कपड़े में नारियाल को बांधकर इसे पूजा स्थल में भी रखा जा सकता है। मान्यता है कि ऐसा करना बहुत ही शुभ होता है।
पूजा-पाठ में फूल का इस्तेमाल किया जाना आम बात है। पूजा के बाद अक्सर फूल या फूलों की माला बच जाती है। कहते हैं कि इसके घर के मुख्य दरवाजे पर बांध देना चाहिए। फूल यदि मुरझा जाएं तो इन्हें गमले या बगीचे में फैला देना चाहिए। इसके अलावा पूजा में इस्तेमाल हुई चुनरी को घर की तिजोरी में रखा जा सकता है। इसके साथ ही पूजा में इस्तेमाल हुए कलावे को हाथ में बंधवा लेना चाहिए। बता दें कि पूजा के बाद बची हुई रोली को घर की महिलाएं अपनी मांग में लगा सकती हैं।