Importance Of Panchabali Bhog: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि हर साल 15 दिनों के लिए श्राद्ध पक्ष आता है। साथ ही यह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। जो इस साल 18 सितंबर से आरंभ हो गए हैं और यह 02 अक्टूबर तक चलेंगे। वहीं 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या है। साथ ही आपको बता दें कि इस 15 दिनों की अवधि में लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद कर उनके निमित्त श्राद्ध कर्म करते है। मतलब जिस तिथि को पितर स्वर्गलोक गए थे, उस तिथि को ही ब्राह्राण भोज कराया जाता है। साथ ही दान- दक्षिणा दी जाती है।
वहीं पितृ पक्ष में पंच ग्रास (पंचबली) का विशेष महत्व है। मतलब पंचबली में ब्राह्मण भोज के अलावा गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों आदि को श्राद्ध का भोजन निकालने का विधान है। मान्यता है कि पंचबली के भोजन से पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी आत्मा तृप्त होती है। वहीं वह अगर कोई कष्ट झेल रहे होते हैं, तो तर्पण श्राद्ध करने से उनको कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं अगर पंचबली नहीं दी जाए तो पितृ नाराज हो जाते हैं, आइए जातने हैं पंचबली का महत्व और लाभ…
पंचबली निकालने की विधि और महत्व
श्राद्ध पक्ष में पंचग्रास के माध्यम से 5 विशेष प्रकार के जीवों को श्राद्ध का बना भोजन निकालने का विधान है। आपको बता दें कि पंचबली के लिए सबसे पहला ग्रास या भोजन गाय के लिए निकाला जाता है, जिसे शास्त्रों में गो बलि का नाम दिया गया है। इसके बाद दूसरा ग्रास कुत्ते को निकालना चाहिए, जिसको श्वान बलि कहते हैं, फिर तीसरा ग्रास कौआ, जिसे काक बलि का नाम दिया गया है।
वहीं चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित कर दें या फिर गाय को दे दें। वहीं अंतिम पांचवा ग्रास चीटियों के लिए सुनसान जगह पर रख देना चाहिए, जिसे पिपीलिकादि बलि का नाम दिया गया है। वहीं इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन भी कराने का नियम। वहीं इसके बाद ही श्राद्ध का कार्य संपन्न हुआ है ऐसा माना जाता है।
जानिए पंचबली के लाभ
पंचबली निकालने से पितृ प्रसन्न की आत्मा तृप्त होती हैं और वह प्रसन्न होते हैं। साथ ही वह सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। साथ ही जिन लोगों की जन्मकुंडली में पितृदोष है, उन लोगों को पंचबली जरूर निकालनी चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।