हिंदू धर्म में होने वाले तमाम पूजा-पाठ में संकल्प लेने की विशेष महत्ता है। संकल्प के बारे में यहां तक कहा जाता है कि इसके बिना पूजा कोई भी पूजा संपूर्ण ही नहीं होती। इसलिए तमाम लोग पूजा करते समय संकल्प लेना नहीं भूलते हैं। बता दें कि संकल्प लेने का मतलब यह होता है कि आप भगवान के समक्ष अपनी इच्छाओं को जाहिर करते हैं और आपकी यह कामना होती है कि ईश्वर उसे जरूर पूरा करेंगे। इसके साथ ही आप अपने मन में संकल्प लेते हैं कि आपके द्वारा यह पूजन कर्म पूरी श्रद्धा के साथ पूरा किया जाएगा। कहते हैं कि संकल्प लेने से आप बड़ी मजबूती और गहराई के साथ ईश्वर से जुड़ जाते हैं और खुद को उनके करीब पाते हैं।
बता दें कि संकल्प लेने में जल अहम भूमिका निभाता है। दरअसल आमतौर पर जल को जीवन का ही एक रूप माना जाता है। इसलिए जल से संकल्प लेते समय अपने वचन को मजबूती से पूरा करने का भाव उत्तपन्न होता है। मालूम हो कि सामान्य तौर पर अपने दोनों हाथों में जल लेकर ही उसे प्रवाहित करते हुए संकल्प लिया जाता है। संकल्प में यह भाव भी निहित होता है कि यदि हम अपने वचन का पालन नहीं करेंगे तो ईश्वर हमारी बुद्धि का नाश कर देंगे।
संकल्प पूजा-पाठ में पंडित जी के द्वारा भी यजमान को दिलाया जाता है। इस दौरान संकल्प लेने वाले व्यक्ति के हाथ में फूल, तिल और कुछ पैसा रखा जाता है। हालांकि इन सब में जल सबसे अहम भूमिका निभाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस पूजा में संकल्प नहीं लिया जाता, वो पूरी ही नहीं होती है। कहते हैं कि बिना संकल्प के होने वाली पूजा का सारा फल भगवान इंद्र को मिल जाता है। इसलिए पूजन कार्य से पहले ही संकल्प ले लिया जाता है।