हिंदू धर्म में बच्चों का मुंडन संस्कार करने की प्रथा काफी लंबे समय से चली आ रही है। हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार माने गए हैं। इन्हीं में एक मुंडन संस्कार भी है। मुंडन संस्कार के बारे में कहा जाता है कि इसे कराने से बच्चे का मस्तिष्क तेज होता है। साथ ही इससे बच्चे के बुद्धिमान होने की भी मान्यता है। मालूम हो कि नन्हें शिशु के बालों को अपवित्र माना गया है। और मुंडन संस्कार के माध्यम से उनके बालों को पवित्र किया जाता है। ऐसा कहते हैं कि मुंडन के बाद नए बालों के आने साथ ही बच्चा नई-नई चीजें सीखना प्रारंभ करता है। इससे बच्चे का धीरे-धीरे संपूर्ण विकास होता है और वह इस समाज का एक जिम्मेदार और कामयाब नागरिक बनता है।

माना जाता है कि मुंडन संस्कार कराने से मां के पेट से आए बालों को हटाने पर मलिन संस्कारों से मुक्ति मिलती है। इससे बच्चा इस समाज का एक पवित्र हिस्सा बन जाता है। मालूम हो कि मुंडन संस्कार के लिए बच्चे की उम्र का भी विशेष तौर पर ख्याल रखा जाता है। शिशु के मुंडन के लिए 1, 3, 5 या 7 साल की उम्र को शुभ माना गया है। ऐसे में लोग अपनी सुविधा के आधार पर अपने बच्चे का मुंडन संस्कार संपन्न करवाते हैं।

इसके साथ यह भी माना जाता है कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें बहुत से कीटाणु और बैक्टीरिया लगे होते हैं। ये बैक्टीरिया किसी साधारण तरह से नहीं निकलते हैं। इसलिए भी बच्चों का मुंडन करवाया जाता है। मान्यता यह भी है कि मुंडन करवाने के बाद सिर से धूप सीधा शरीर में जाती है जिससे विटामिन डी मिलती है। धूप से शरीर की कोशिकाएं जागृत होकर नसों में रक्त का परिसंचरण ठीक से कर पाती हैं। इस प्रकार से मुंडन संस्कार के कुछ वैज्ञानिक फायदे भी बताए गए हैं।