सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। सूर्य की किरणों से ही धरती पर प्रकाश आता है। यह प्रकाश अंधकार दूर करता है और मानव जीवन में उजाला लेकर आता है। सूर्य की किरणों से कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोगों का निवारण होता है। मालूम हो कि सनातन धर्म में कुल पांच देवताओं की आराधना का महत्व बताया गया है। ये हैं- सूर्य, गणेशजी, दुर्गा जी, शिव और विष्णु। इन सभी देवी-देवताओं की प्रत्येक कार्य में पूजा की जाती है। इनमें सूर्य देव काफी विशिष्ट हैं। क्योंकि केवल इन्हीं का प्रत्यक्ष रूप से दर्शन किया जा सकता है। वहीं, सूर्य देव की पूजा में अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है।

ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। और अपने भक्त के जीवन को अंधकार से निकालकर प्रकाश(ज्ञान) की ओर लेकर जाते हैं। माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के जीवन की निराशा दूर होती है और वह एक खुशहाल जीवन जीता है। कहते हैं कि सूर्य को अर्घ्य देने से जो किरणें जल से होकर शरीर पर पड़ती हैं उनसे रोगों का नाश हो जाता है। इससे व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है।

विधि: सूर्य देव को अर्ध्य दो विधियों से दिया जाता है। पहली विधि के तहत आप नदी के जल में खड़े होकर अंजली या फिर तांबे के पात्र में जल भरकर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ा सकते हैं। इस विधि को अत्यन्त फलदायी माना गया है। दूसरी विधि में कहा गया है कि सूर्य देव को किसी भी जगह पर अर्ध्य दिया जा सकता है। इसके तहत एक तांबे के लोटे में जल ले लेना चाहिए। जल में चंदन, चावल तथा फूल डालकर अर्घ्य देना चाहिए। बता दें कि लाल रंग के फूल को इसके लिए उत्तम माना गया है। अर्घ्य देते समय ध्यान रहे कि इसका जल पैरों के नीचे न आए। इसे अशुभ माना जाता है।