इस साल(2018) की अमरनाथ यात्रा प्रांरभ हो चुकी है। भारी संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा के लिए निकल पड़े हैं। अमरनाथ यात्रा देश की मुश्किल धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। फिर भी हर साल श्रद्धालु बड़े ही उत्साह के साथ इस यात्रा पर जाते हैं। अमरनाथ यात्रा में दक्षिण कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बिंदु है। इस स्थान से जुड़ा एक बड़ा ही रोचक प्रसंग प्रचलित है। शास्त्रों के अनुसार इसी पवित्र स्थान पर शिव जी ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी। कहते हैं कि कथा सुनते-सुनते पार्वती जी को नींद आ गई।

प्रसंग के मुताबिक शिव के कथा सुनाते समय दो कबूतर भी उनकी बातें बड़े ध्यान से सुन रहे थे। इस कथा से कबूतरों को ब्रम्हाण्ड के रहस्य की जानकारी मिल गई और ये अमरत्व को प्राप्त हो गए। बताते हैं कि हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को ये दोनों कबूतर अमरनाथ गुफा में दिखाई देते हैं। अमरनाथ यात्रा की सबसे खास बात यह है कि यहां पर हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के अलावा अन्य धर्म के लोग भी आते हैं। यह यात्रा हमारे समाज में आपसी मेलजोल को बढ़ावा देने का काम करती है। अमरनाथ यात्रा से श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह होता है।

बता दें कि अमरनाथ गुफा कश्मीर के श्रीनगर शहर से उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा (भीतर की ओर से) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। वहीं गुफा की ऊंचाई 11 मीटर है। मालूम हो कि अमरनाथ गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है। इस शिवलिंग के प्रति श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह पाया जाता है। कहा जाता है कि चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ ही बर्फ का आकार भी छोटा-बड़ा होता रहता है।