भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। यानी कि सच्चे मन से गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। हमारे देश में गणेश जी के कई मंदिर हैं। इनमें एक ऐसा मंदिर भी है जहां पर गणपति की ‘इंसानी रूप’ में पूजा की जाती है। जी हां, राजस्थान की राजधानी जयपुर में गणेश जी का यह मंदिर स्थित है। इसे गढ़ गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में गणेश की बिना सूंड वाली प्रतिमा विराजमान है। सूंड नहीं होने की वजह से यहां पर गणेश की ‘इंसानी रूप’ में आराधना की जाती है। मंदिर में बुधवार के दिन भक्तों की भारी भींड लगती है। चूंकि बुधवार का दिन गणपति को समर्पित है। इसलिए इस दिन भारी तादात में भक्त यहां पर गणेश की पूजा के लिए आते हैं।

गढ़ गणेश मंदिर जयपुर के उत्तर दिशा में स्थित अरावली की ऊंची पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 मीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। मंदिर के पास आकर जयपुर की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस ऊंचाई से शहर का अधिकतर हिस्सा नजर आता है। साथ ही ही आसपास का वातावरण बहुत ही शांत और मनोहर है। गढ़ गणेश मंदिर में गणपति के बाल रूप का दर्शन करने से मन काफी हल्का हो जाता है। कहते हैं कि भक्त यहां से अपने साथ ही काफी सकारात्मकता लेकर जाते हैं।

गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन इस मंदिर के पास मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में हजारों की संख्या में लोग शिरकत करते हैं। मेले में आने वाले लोग गणपति के बाल रूप का दर्शन करने से नहीं चूकते। गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। कहा जाता है कि जयसिंह ने जयपुर में अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन कराया था। इसी दौरान तांत्रिक विधि से इस मंदिर की स्थापना की गई थी।