Root Of Goolar Benefits: वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों का वर्णन मिलता है। साथ ही इन नवग्रहों से संबंधित नवरत्नों का वर्णन मिलता है। ऐसे ही नवग्रह का संबंध किसी न किसी पेड़- पौधे से बताया है, जैसे- शनि ग्रह का संबंध शमी के पेड़ से मान जाता है। ऐसे ही सूर्य ग्रह का संबंध बेल के पेड़ से बताया गया है। यहां हम बात करने जा रहे हैं गूलर के पेड़ के बारे में, जिसका संबंध धन और वैभव के दाता शुक्र ग्रह से माना गया है और हीरा का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। मतलब अगर आप हीरा नहीं पहन सकते हैं तो आप हाथ में गूलर के पेड़ की जड़ बांध सकते हैं। क्योंकि हीरा रत्न बहुत मंहगा होता है और गूलर के पेड़ की जड़ बाजार में बहुत सस्ती मिल जाती है। आइए जानते हैं गूलर के पेड़ की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…
गूलर की जड़ धारण करने के लाभ
गूलर की जड़ हाथ में बांधने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। साथ ही पति- पत्नी में प्रेम बढ़ता है। जो लोग फैशन डिजाइनिंग, फिल्म या मीडिया लाइन से जुड़े हुए हैं वो लोग गूलर की जड़ धारण कर सकते हैं। शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य, वैभव और लग्जीरियस लाइफ का कारक माना जाता है। इसलिए गूलर की जड़ बांधने से व्यक्ति को वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो सकती है।
ये लोग बांध सकते हैं गूलर की जड़
वैदिक ज्योतिष अनुसार गूलर की जड़ वृष, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न में जन्मे लोग बांध सकते हैं। साथ ही वृष और तुला लग्न और राशि के व्यक्ति भी गूलर की जड़ बांध सकते हैं। क्योंकि इन राशियों के स्वामी शुक्र देव हैं। वहीं अगर कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ मतलब उच्च का स्थित है तो भी इस जड़ को बांधा जा सकता है। साथ ही जिन लोगों पर शुक्र ग्रह की महादशा चल रही हो और कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ स्थित हैं, वो लोग गूलर के पेड़ की जड़ बांध सकते हैं। वहीं शुक्र ग्रह अगर नवांश कुंडली में उच्च का हो तो भी गूलर की जड़ पहनी जा सकती है।
जानिए बांधने की सही विधि
गूलर के पेड़ की जड़ आपको ज्योतिष अनुसार पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में खरीदकर लानी चाहिए। साथ ही इसे शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को सूर्य के उदय होने के बाद बांधना चाहिए। वहीं इसे बांधने से पहले गंगाजल से अच्छे शुद्ध कर लें। साथ ही गूलर की जड़ को सफेद कपड़े में बांध लें और फिर जड़ को बांधकर गले या हाथ में धारण करना चाहिए। साथ ही धारण करने से पहले शुक्र देव के बीज मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें।