किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले या फिर मनोकामना की पूर्ति होने पर सत्यनारायण व्रत की कथा सुनाई जाती है। आपने भी इस कथा में हिस्सा लिया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सत्यनारायण व्रत की कथा क्यों कराई जाती है? इसके क्या लाभ बताए गए हैं? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं। सत्य को नारायण के रूप में पूजने को ही सत्यनारायण की पूजा कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि इस संसार में नारायण ही एकमात्र सत्य हैं, बाकी सब माया है। सत्य में ही यह संसार समाया हुआ है। सत्य के बिना यह संसार कुछ भी नहीं होगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है। कहते हैं कि सत्यनारायण कथा सुनने वाले व्यक्ति को व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे श्री हरि विष्णु द्वारा जीवन के सभी कष्टों को हर लिए जाने की बात कही गई है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं। ऐसे में सत्यनारायण कथा कराने और सुनने से भक्त पर विष्णु जी की भी कृपा बरसने की मान्यता है। इससे जीवन में सुख-शांति आने की बात कही गई है।
बता दें कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा कराना काफी शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस दिन सत्यनारायण कथा बेहद ही खास होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की विशेष कृपा मिलती है। साथ ही सत्यनारायण कथा का पाठ केले के पेड़ के नीचे या फिर घर के ब्रम्हा स्थान पर कराना उत्तम माना गया है। सत्यनारायण कथा के भोग में पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी अश्वय शामिल करना चाहिए। सत्यनारायण कथा भक्त अपने परिजनों, पड़ोसियों और अन्य भक्तों के साथ सुननी चाहिए। इससे जीवन में समृद्धि आने की मान्यता है।