Shubh Yog In Kundli: वैदिक ज्योतिष अनुसार हर ग्रह अशुभ और शुभ योग बनाते हैं। साथ ही ये शुभ योग जिन व्यक्ति की कुंडली में होते हैं वह धनवान होते हैं और समाज में यश- प्रतिष्ठा पाते हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं राहु ग्रह के बनने वाले 3 योगों के बारे में, जिनका नाम है अष्ट लक्ष्मी योग, परिभाषा योग और योग लग्नकारक योग। ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में ये शुभ होते हैं ऐसे व्यक्तियों के जीवन में धन का अभाव कभी नहीं रहता है। साथ ही वह उनको सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कैसे बनते हैं ये योग और मानव जीवन पर इसका प्रभाव…

1- अष्ट लक्ष्मी योग: 

वैदिक ज्योतिष अनुसार इस योग का निर्माण व्यक्ति की जन्म कुंडली में तब होता है जब राहु कुंडली के छठे भाव में और गुरु दशम भाव में स्थित हों तो अष्ट लक्ष्मी योग का निर्माण होता है। राहु के प्रभाव से ऐसे लोग राजनीति में खूब सफलता पाते हैं। साथ ही समाज में इनकी खूब प्रतिष्ठा होती है। ये लोग बुद्धिमान, बोलचाल में चातुर्य भी होते  हैं। साथ ही अच्छे वक्ता और लेखक होते हैं। ये लोग मिलनसार भी होते हैं। साथ ही सामाजिक काम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

2- परिभाषा योग:

ज्योतिष मुताबिक इस योग का निर्माण तब होता है जब राहु ग्रह लग्न में या 3, 6, 11 में से किसी भी स्थान में हो तो परिभाषा योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। साथ ही वह कार्यक्षेत्र में अच्छी तरक्की पाता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव मिलता है। ये लोग विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी शांत बने रहते हैं। साथ ही राहु ग्रह के प्रभाव से ये लोग जोखिम उठाने में भी माहिर होते हैं और अपनी इस खूबी से ही व्यापार में अच्छा धन कमाते हैं।

3- लग्न कारक योग:

योगलग्नकारक योग राहु ग्रह द्वारा निर्मित शुभ योगों में से एक माना जाता है। ज्योति शास्त्र अनुसार  यह योग मेष, वृष और कर्क लग्न की कुंडलियों में बनता है। मतलब जब राहु दूसरे, नौवें या 10वें स्थान में नहीं होता है। तो ऐसे लोगों को राहु ग्रह शुभ फलदायी होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति प्रशासनिक पद को पाते हैं। साथ ही वह कम समय में अच्छा बैंक-बैलेंस बना लेते हैं। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति निर्भीक, बलशाली, ऊर्जावान और पराक्रमी होता है।