ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उपायों का वर्णन किया गिया है। जिसमें ग्रहों से संबंधित मंत्र और रत्नों का वर्णन किया गया है। आपको बता दें कि मंत्र का जाप करने से ग्रहों की नकारात्मकता को दूर किया जाता है। वहीं रत्नों को हाथ में धारण किया जाता है। लेकिन कुछ रत्न बहुत महंगे होते हैं। जिनकी जगह ज्योतिष में पेड़ों की जड़ का वर्णन किया गया है। यहां हम बात करने जा रहे हैं बेल के पेड़ की जड़ के बारे में, जिसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। मतलब अगर आप माणिक्य रत्न नहीं पहन सकते, तो आप बेल के पेड़ की जड़ को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं बेल की जड़ का महत्व और धारण करने की विधि…

बेल की जड़ धारण करने के लाभ

रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ सूर्य के रत्न माणिक्य के समान शुभ फल प्रदान करती है। बेल की जड़ धारण करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है। इस जड़ को धारण करने से ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार से भी मुक्ति मिल सकती है। वहीं नौकरी पेशा और राजनीति के लोग इस जड़ को धारण कर सकते हैं। उन्हें करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है।

ये लोग धारण कर सकते हैं बेल की जड़

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही धन स्थान, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के विराजमान हैं तो भी बेल की जड़ धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर सूर्य देव नवमांश में उच्च के विराजमान हो तो भी बेल की जड़ पहन सकते हैं।

इस विधि से करें धारण

रत्न शास्त्र अनुसार बेल की जड़ को कृतिका नक्षत्र में खरीदकर लाना चाहिए। साथ ही इसे रविवार को सुबह धारण करना चाहिए। आप इसे लाल कपड़े में बांधकर गले या हाथ में धारण कर सकते हैं। सबसे पहले गाय के दूध और गंगाजल से बेल के पेड़ की जड़ को शुद्ध कर लें। उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ऊं सूर्याय नम: का जाप करें और फिर धारण कर लें।