भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय भगवान माना जाता है। किसी भी पूजा की शुरुआत भगवान शिव की उपासना से की जाती है। वैसे तो भारत में भगवान गणेश के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं लेकिन इनमें से एक मंदिर ऐसा है जहां भगवान गणेश की मूर्ति गोबर की बनी हुई है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के महेश्वर में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में मौजूद भगवान गणेश की गोबर की मूर्ति हजारों साल पुरानी है। इस मंदिर को लेकर ऐसा प्रचलित है कि यहां भगवान गणेश को एक नारियल चढ़ाकर प्रसन्न किया जा सकता है। आमतौर पर पूजा-पाठ में गोबर के गणेश बनाकर उनकी पूजा की जाती है। क्योंकि मिट्टी और गोबर से बनी हुआ मूर्ति में पंच तत्वों का वास होता है। और खासकर गोबर में तो धन की देवी मां लक्ष्मी का वास माना गया है इसलिए इस मंदिर में आकर दर्शन करने से भगवान गणेश के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो जाती है।

मंदिर का आकार भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। एक तरफ मंदिर का बाहरी आकार किसी मस्जिद के गुंबद की तरह है तो वहीं मंदिर के भीतर की बनावट लक्ष्मी यंत्र की तरह लगती है। मंदिर के बाहरी आकार को लेकर कहा जाता है कि औरंगजेब के शासन काल में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की गई थी। जिस कारण इस मंदिर के गुबंद का आकार किसी मंदिर की तरह नहीं बल्कि मस्जिद की तरह लगता है। इस मंदिर में भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं। भक्तों का मानना है कि यहां आने से गणपति उनकी सभी इच्छाएं पूरी कर देते हैं।

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एक और अनोखी चीज जो इस मंदिर में देखने को मिलती है कि यहां भक्त उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान तक पहुंचाते हैं और इच्छा पूरी होने के बाद वह यहां आकर सीधा स्वास्तिक बना देते हैं। वैसे तो इस मंदिर में साल के 12 महीने भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन गणेश उत्सव और दिवाली के समय में इस मंदिर में काफी मात्रा में भक्तजन दर्शन करने के लिए आते हैं।