हिन्दू धर्म में पीपल को बेहद शुभ वृक्ष माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों का मानना है कि पीपल के वृक्ष में शनिदेव का वास होता है। इसलिए लोग कई बार पीपल के वृक्ष में जल देते हैं। पीपल में जल देने के पीछे एक मान्यता यह है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। साथ ही आरोग्यता का वरदान भी मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस दिन पीपल के वृक्ष में जल नहीं चढ़ाना चाहिए? और ऐसा करने से क्या होता है? चलिए आगे हम इसे जानते हैं।

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि “मैं वृक्षों में पीपल हूं।” पीपल के जड़ में ब्रह्मा जी, बीच में भगवान विष्णु और सबसे ऊपरी भाग में शिव का वास होता है। वहीं स्कंदपुराण के अनुसार पीपल के जड़ में विष्णु, बीच में श्रीकृष्ण, डालियों में भगवान विष्णु और फलों में सभी देवताओं का पीपल निवास होता है। इसके अलावा आम जीवन में भी वृक्षों में देव-वास की अवधारणा की गई है। इसी कारण धार्मिक दृष्टिकोण से भी वृक्ष को देवता मानकर पूजा जाता है।

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शास्त्रों के मुताबिक शनिवार को पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन पीपल में जल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है। वहीं शास्त्रों में रविवार के दिन पीपल में जल चढ़ाना निषेध किया गया है। माना जाता है कि इस दिन पीपल में जल अर्पण करने से धन की हानि होती है। साथ ही हमेशा पैसों की तंगी बनी रहती है। इसके अलावा भी पीपल के पेड़ को काटना धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलते हैं और वंश-वृद्धि में रुकावट आती है।