Vidur Niti in Hindi: विदुर जी को महाभारत काल के सबसे समझदार व्यक्तियों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत के असली नायक श्रीकृष्ण के साथ ही विदुर जी की समझदारी भी थी। महाभारत काल में उन्होंने हर पक्ष पर कई विचार साझा किये थे जिनका अनुसरण न केवल पांडव बल्कि कौरव भी आदरपूर्वक किया करते थे। ये उनकी बुद्धिमता का ही कमाल था कि पितामह भीष्म भी जरूरी फैसलों से पहले विदुर की सलाह लिया करते थे।
जिस प्रकार चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य के विचारों को समाहित किया गया है, उसी तरह विदुर नीति में महात्मा विदुर द्वारा बताए गए विचारों का सार है। अपनी नीति पुस्तक में विदुर जी ने कहा है कि इस संसार में 6 सुख प्रमुख हैं। जानिये विदुर ने किन 6 सुखों को प्रमुख बताया है –
अर्थोगमो नित्यमरोगिता च, प्रिया च भर्या प्रियवादिनी च।
वश्यच्श्र पुत्रोर्थकरी च विद्या, षड् जीवलोकस्य सुखानी राजन्।।
महात्मा विदुर के अनुसार मनुष्य के लिए धन प्राप्ति का सुख सबसे बड़ा है। उनकी मानें तो ये सुख अतुलनीय है। वो कहते हैं कि जिस व्यक्ति को उसके मन के अनुसार धन प्राप्त होता है वह सबसे सुखी व्यक्ति होता है। जिसके पास धन है वह अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं।
महात्मा विदुर ने दूसरा सबसे बड़ा सुख सेहतमंद रहने को बताया है। वो कहते हैं कि रोगी व्यक्ति पूरी तरह से संपन्न होने के बावजूद खुश नहीं रह सकता है। उनके मुताबिक जो मनुष्य निरोगी होता है, उससे अधिक सुखी कोई दूसरा नहीं होता है। उनकी मानें तो जिसका तन बीमारियों से दूर है वह सबसे खुशहाल व्यक्ति है।
महाभारत काल के दौरान बताए गए इस श्लोक में विदुर जी कहते हैं कि तीसरा सबसे बड़ा सुख प्रिय भार्या हो। इसका मतलब है कि जिन लोगों की पत्नी मनपसंद होती हैं, उनका जीवन सुखमय बीतता है। विदुर जी कहते हैं कि जिसके पास जीवनसाथी के रूप में पसंदीदा पत्नी हो, वह बहुत सुखी होता है। पत्नी अच्छी हो तो पति को सभी सुख प्राप्त होते हैं और जीवन शांतिपूर्वक गुजरता है।
चौथे सुख को बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि जिनकी वाणी मधुर होती है, उनका जीवन व्यापन बेहद सुखमय होता है। जो व्यक्ति दूसरों के साथ मीठी बोली में बात करते हैं, हर कोई उनका सम्मान करता है। साथ ही, उनका जीवन खुशहाली से भरा-पूरा होता है।
इस नीति में कहा गया है कि आज्ञाकारी पुत्र किसी भी मनुष्य के जीवन का पांचवां सबसे बड़ा सुख है। विदुर ने बताया है कि जिस व्यक्ति के पुत्र आज्ञाकारी होते हैं उसका जीवन सफल हो जाता है। उनके मुताबिक आज्ञाकारी पुत्र अपने माता-पिता को पूजनीय मानकर उनका जीवन बेहद सुखमय हो जाता है।
महात्मा विदुर के अनुसार छठा सबसे बड़ा सुख शिक्षा है। शिक्षित व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन को भी खुशनुमा बनाता है।

