ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में बृहस्पति को सबसे अधिक शुभ माना जाता है। बृहस्पति देव देवताओं के भी गुरु माने जाते हैं। इसलिए इनको देवगुरु कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के पीछे बृहस्पति की स्थिति बेहद खास मानी जाती है। इसके अलावा ज्योतिषी यह भी मानते हैं कि बृहस्पति की कृपा से कुंडली में राजयोग बनता है। बृहस्पति की कृपा से कुंडली में बनने वाला राजयोग गजकेसरी योग कहलाता है। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि कुंडली में राजयोग किस प्रकार बनता है। हालांकि ज्योतिष में राजयोग के लिए कई स्थितियां बताई गई हैं। लेकिन हम आपको बृहस्पति की कृपा से बनने वाले राजयोग के बारे में बता रहे हैं। चलिए जानते हैं कुंडली में बृहस्पति की कृपा से कैसे बनता है राजयोग?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति प्रधान कुंडली में सबसे बड़ा राजयोग गजकेसरी योग होता है। गजकेसरी योग को राजयोगों में सबसे बड़ा और शुभ माना गया है। यह राजयोग तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति एक दूसरे के केंद्र में होते हैं। बृहस्पति के प्रभाव से बनने वाले इस योग की कुछ खासियतें बताई गई हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि अगर इस योग में बृहस्पति, कर्क में हो या चंद्रमा वृषभ राशि में हो, तो ऐसी कुंडली वाले व्यक्ति इतिहास गढ़ते हैं। साथ ही उन्हें अत्यधिक सफलता और सम्मान मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो व्यक्ति के जीवन में घटने वाली हर बड़ी घटना का कारक बृहस्पति हैं।
ज्योतिषी यह मानते हैं कि जिस जातक की कुंडली में गजकेसरी राजयोग है उन्हें कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। अगर कुंडली में गजकेसरी योग है तो बड़े-बुजुर्गों और मटा-पिता का का सम्मान अवश्य करना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों को अपने खान-पान में भी रखनी चाहिए। झूठ बोलने और मांस-मदिरा के सेवन से परहेज करना चाहिए। इसके सुबह और शाम ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।
