शास्त्रों में दैनिक पूजा-पाठ में मंत्र जाप को भी अहम महत्व दिया गया है। मंत्र जाप के लिए पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इसके लिए समय, स्थान और उचित माला का प्रयोग करना शुभ है। साथ ही किसी भी मंत्र का जाप करने के लिए तीन विधियां बताई गई हैं- वाचिक, उपांशु और मानसिक। वाचिक जप उसे कहा जाता है जिसमें मंत्र के प्रत्येक अक्षर का स्पष्ट उच्चारण किया जाता है। वाणी के द्वारा ये अक्षर प्रस्फुटित होते रहते हैं और पास में बैठे हुए लोग बड़ी आसानी से उस मंत्र का ध्यान करते रहते हैं। ये तो हुई मंत्र जाप की विधि। आगे हम जानते हैं कि मंत्र जाप करते समय किस प्रकार माला पकड़ना शुभ माना गया है।

मंत्र जाप के लिए जप माला सूत्रम में बताया गया है कि “मध्यमायां न्यसेतमालां ज्येष्ठाआवर्तयेत सुधि:”। यानि मंत्र जाप के लिए मध्यमा (बीच वाली उंगली) और अनामिका (मध्यमा के बाद वाली) उंगली पर माला को रखकर अपने अंगूठे से माला को फेरना (मंत्र जाप) चाहिए। साथ ही एक एक मनके को पकड़ने के बाद ही मंत्र जाप करना चाहिए। इसके अलावा इस प्रकार से मंत्र जाप करने से मनुष्य को भुक्ति-मुक्ति प्रदान होती है।

वहीं जिस कामना के लिए मंत्र जाप किया जाता है उसमें सम्पूर्ण फल प्राप्ति होती है। मंत्र जाप के लिए सुबह, दोपहर और शाम समय उचित माना गया है। इस समय में मंत्र जाप करते वक्त माला को कहां रखना चाहिए ये बात भी शास्त्रों में बताई गई है। शास्त्रों के अनुसार यदि प्रातःकाल के समय मंत्र जाप किया जाता है तो माला को अपनी नाभि के आगे रखना चाहिए। वहीं जब दोपहर में मंत्र जाप करते हैं तो ऐसे में माला को अपने हृदय के समीप रखना चाहिए। फिर जब शाम के समय माला करते हैं तो ऐसे में माला को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए।