पौराणिक कथाओं में संकट मोचन महाबली हनुमान को ब्रह्मचारी बताया गया है, पर उनके एक पुत्र होने की कथा भी वर्णित है। इस कथा का प्रसंग टीवी सीरियल ‘संकट मोचन महाबली हनुमान’ में भी दिखाया गया है। सीरियल के 468वें एपीसोड में जब हनुमान और मकरध्वज का आमना-सामना होता है, तब मकरध्वज यह कहानी सुनाता है। कहानी इस प्रकार है-
हनुमान का सामना एक युद्ध के दौरान उनके पुत्र से होता है। रावण ने अहिरावण को भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल ले जाकर मार देने के लिए कहा होता है। अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण बलि देने के लिए ले जाता है और हनुमान उन्हें बचाने के लिए जाते हैं। वहां पर हनुमान पुत्र मकरध्वज दरवाजे पर रक्षा के लिए खड़े होते हैं। पाताल में हनुमान और मकरध्वज का भयंकर युद्ध होता है। मकरध्वज घमंड में हनुमान से कहते हैं कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हो, मैं महाबली हनुमान का पुत्र हूं। उस स्थान पर हनुमान उसका घमंड तोड़ते हैं और कहते हैं कि वो एक ब्रह्मचारी हैं उनका कोई पुत्र नहीं हो सकता है। मकरध्वज अपनी गलती का अहसास करता है और हनुमान के चरणों में लेट जाता है। हनुमान उसपर विश्वास नहीं करते हैं।
मकरध्वज बताते हैं कि जब हनुमान की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी और हनुमान पूरी लंका को जलाते हुए समुद्र में जाकर अपनी पूंछ में आग बुझाने आए थे। उसी दौरान उनके पसीने की एक बूंद पानी में गिरती है जो मगरमच्छ के पेट में चली जाती है और उसी के कारण वो मकर गर्भवती हो जाती है। कुछ समय में उस मकर को शिकार के लिए पकड़ लिया जाता है। तहखाने में वो मगरमच्छ एक गंधर्व कन्या का रुप ले लेती है और उसे एक पुत्र की उत्पत्ति होती है। गंधर्व कन्या श्रापित होने के कारण मकर बन जाती है। श्राप से मुक्त बाद वो गंधर्व कन्या वहां से लुप्त हो जाती है। मगरमच्छ से उत्पत्ति के कारण उसका नाम मकरध्वज पड़ता है। हनुमान पाताल लोक में अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं और उसके बाद मकरध्वज को वहां का अधिपति बनाकर भगवान राम और लक्ष्मण को ले आते हैं।
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