Heart Attack Astrological Factor: वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों का वर्णन मिलता है। अगर ये ग्रह व्यक्ति की जन्मकुंडली अशुभ या नीच स्थित हों तो व्यक्ति को उन ग्रह से संबंधित रोग व्यक्ति को हो सकते हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं हार्ट रोग के बारे में। ज्योतिष में हार्ट रोग (Heart Attack Disease) के लिए मुख्य रूप से सूर्य और चंद्र ग्रह को कारक माना है। आइए ज्योतिष के अनुसार जानते हैं कि किन कारणों से हृदय रोग की समस्या होती है और इनके क्या ज्योतिषीय उपाय हैं…
सूर्य ग्रह और चंद्र ग्रह हैं हार्ट रोग के कारक
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक सूर्य पिता और आत्मा का कारक ग्रह होता है। इसलिए सूर्य ग्रह अगर व्यक्ति की जन्मकुंडली में अशुभ या नीच के विराजमान हैंं तो व्यक्ति को ह्रदय रोग की समस्या हो सकती है। वहीं चंद्रमा ग्रह को मन और मस्तिष्क का कारक होता है। इसलिए ज्योतिष के अनुसार खराब चंद्रमा को भी हृदय रोग का कारक माना जाता है। चंद्रमा अगर कुंडली में नकारात्मक या नीच के विद्यमान हैं, तो व्यक्ति को हार्ट का रोग हो सकता है।
हार्टरोग के प्रमुख ज्योतिषीय कारण
1- ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह यदि चतुर्थ भाव हो और पाप ग्रहों से पीडित हों तो हृदयरोग हो सकता है।
2- जन्मकुंडली में सूर्य ग्रह यदि शत्रु राशि या कुंभ राशि में हो तो धमनी में अवरोध उत्पन्न करते हैं। जिससे व्यक्ति को हार्टरोग हो सकता है।
3- कुंडली में यदि चतुर्थ भाव में सूर्य- शनि की युति हो या मंगल, गुरु, शनि चतुर्थ भाव में हों या चतुर्थ या पंचम भाव में पापग्रह हों तो भी व्यक्ति को ह्रदय रोग से संबंधित परेशानी हो सकती है।
4- चतुर्थ भाव में पापग्रह हो और चतुर्थेश पापयुक्त हो तो हृदयरोग हो सकता है।
5- जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में राहु ग्रह, बुध व वक्री मंगल हों तो व्यक्ति को युवा अवस्था में ही हृदय रोग हो सकता है।
करें ये ज्योतिषीय उपाय
- ज्योतिष के अनुसार प्रतिदिन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। ये उपाय हृदयरोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। गायत्री मंत्र को आरोग्य का मंत्र माना गया है।
 
- जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर लग्नेश का रत्न धारण करें।
 
- चंद्र ग्रह के बीज मंत्र ऊँ सोम सोमाय नमः का जाप करें।
 
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
 
