वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का वास्तु दोष बेदह अशुभ होता है। यह वास्तु दोष घर के मुख्य दरवाजे से लेकर कमरे, किचन, बेडरूम और यहां तक कि घर के पूजा स्थल पर भी हो सकता है। वास्तु में इन स्थानों पर उत्पन्न वास्तु दोष को घर-परिवार के लिए अशुभ माना गया है। जिस प्रकार घर के अन्य भाग वास्तु के लिए महत्वपूर्ण हैं, वैसे ही घर का पूजा स्थल भी अहम स्थान रखता है। इसलिए घर के अन्य भागों के अलावा घर का मंदिर भी वास्तु दोष रहित होना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर के मंदिर का स्थान, दिशा और मंदिर में किन-किन चीजों को शामिल किया जाए, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के मुताबिक ऐसी 4 चीजें हैं जिन्हें घर के मंदिर में रखना अशुभ माना गया है।
राहु-केतु की मूर्ति: वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि राहु-केतु की मूर्ति घर में नहीं लानी चाहिए। इनकी पूजा-अर्चना करने और इन्हें प्रसन्न करने से जीवन के कष्ट अवश्य कम होते हैं। लेकिन इनकी मूर्ति घर में लाने से हम इनसे जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा को भी घर में ले आते हैं। इसलिए इनकी पूजा घर से बाहर ही करनी चाहिए।
नटराज की मूर्ति: वास्तु शास्त्र में नटराज की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर स्थापित करना निषेध माना गया है। वैसे तो नटराज की मूर्ति देखने में आकर्षक लगती है लेकिन इसे घर के पूजा स्थल पर रखने से बचना चाहिए। नटराज को शिव का रूद्र रूप माना जाता है। यानि शिव का यह रूप शिव के क्रोधित अवस्था का है। नटराज की मूर्ति को घर में लाने से अशांति फैलती है।
शनि देव की मूर्ति: वास्तु शास्त्र के अनुसार सूर्य पुत्र शनि देव की मूर्ति घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। शास्त्रों में शनि देव की पूजा घर के बाहर किसी मंदिर में ही करने का विधान है। इसलिए शनि देव की मूर्ति को घर में नहीं लानी चाहिए। यदि इनकी पूजा करना चाहते हैं तो घर के बाहर ही करें।
भैरव की मूर्ति: भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार भैरव की मूर्ति पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए। घर के मंदिर में स्थापित भैरव की मूर्ति घर में वास्तु दोष उत्पन्न करती है। साथ ही इसे मंदिर में तो भूलकर भी स्थापित नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भैरव तंत्र विद्या के देवता हैं और इनकी पूजा घर के बाहर ही होनी चाहिए।
