सावन का पवित्र महीना प्रारंभ हो चुका है। शिवभक्तों में गजब का उत्साह नजर आ रहा है। हर ओर से भगवान शिव की जय-जयकार सुनाई दे रही है। समस्त वातावरण ही शिवमय नजर आ रहा है। इस बीच 30 जुलाई दिन मंगलवार को शिवरात्रि है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवरात्रि को सबसे शुभ दिन माना गया है। ऐसे में शिव मंदिरों के बाहर भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है। हर कोई शिव का जलाभिषेक करके उनका आशीर्वाद पाना चाहता है। बता दें कि इस बार मासिक शिवरात्रि चतुर्दशी को पड़ रही है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में प्रगट होते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी दिन सभी देवी-देवताओं ने पहली बार शिवलिंग की पूजा की थी।

शिवरात्रि पर शिव जी के जलाभिषेक का सर्वोत्तम शुभ मुहूर्त प्रात: 4 बजे से सुबह 8:48 बजे तक है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार शिवरात्रि पर जलाभिषेक का दूसरा मुहूर्त दोपहर 3:35 बजे से रात्रि 8:15 बजे के बीच होगा। रात्रि का आठवां भाग(प्रदोष काल) सायं 7:6 बजे से रात्रि 9:01 बजे तक रहेगा। जबकि निशिथ काल पूजन का वक्त रात्रि 12:06 से 12:49 बजे (31 जुलाई 2019) के बीच होगा। वहीं त्रयोदशी तिथि की बात करें तो यह 30 जुलाई सुबह 4 बजकर 49 मिनट से लेकर 31 जुलाई, 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। व्रत पारण, 31 जुलाई 2019, प्रात: 05:46 बजे से प्रारंभ होकर 11:57 बजे तक रहेगा।

आप जानते होंगे कि सावन के महीने में तमाम शिवभक्त कांवड लेकर जाते हैं। ये कांवड़िए शिव जी के पवित्र धामों पर पहुंचकर उनका जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि शिवरात्रि पर शिव जी का जलाभिषेक करने से वे प्रसन्न होते हैं। और अपने भक्त की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

मालूम हो कि शिवरात्रि पर प्रदोष व्रत रखने का भी विधान है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त से लेकर आधी रात के बीच का माना गया है। इस साल प्रदोष काल 30 जुलाई को शाम 7 बचकर 1 मिनट से रात के 9 बजकर 11 मिनट तक होगा। मान्यता है कि प्रदोष काल की शिव आराधना बहुत ही फलदायी होती है। वैसे तो प्रत्येक महीने प्रदोष व्रत आता है लेकिन सावन के महीने में इसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है। कहते हैं कि प्रदोष काल में सच्चे मन से की गई शिव पूजा जरूर काम आती है। इससे भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि ाने की मान्यता है।