काशी केवल मानव मात्र के लिए रहने का स्थान नहीं है, बल्कि यह ऐसा यंत्र है, जो मानव को ब्रह्मांड से जोड़ता है। यह बेहद प्राचीन है, विश्व के हर शहर से कहीं ज्यादा प्राचीन या यूं कहें कि काशी प्राचीन से भी प्राचीन है। काशी शब्द का अर्थ है- प्रकाशमान। यहां 54 मंदिर शिव के हैं और 54 ही शक्ति के। सदगुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं कि काशी दुनिया का इकलौता शहर है, जो कि मानव शरीर के ही जैसा बनाया गया है।
जग्गी वासुदेव कहते हैं कि काशी दुनिया की सबसे जटिल और बड़ी ही रिफाइंड मशीन है। ये ऐसा यंत्र है, जो मानव को अनुष्ठानों के जरिए स्पेस से जोड़ता है, जो हमारी ऊर्जा का असली स्रोत है। सदगुरु जग्गी वासुदेव दावा करते हैं कि काशी शिव के त्रिशूल पर टिकी है। काशी ज़मीन से करीब 33 फुट ऊपर है। यही कारण है कि यह शहर दुनिया में सबसे अलग है। काशी में जबरदस्त ऊर्जा है, ऐसी ऊर्जा कहीं और नहीं। यह आपको सीधे ब्रह्मांड से जोड़ती है। काशी को शिवनगरी इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि वह सर्दियों में यहीं पर रहा करते थे।
काशी के विज्ञान के बारे में जग्गी वासुदेव आगे बताते हैं कि काशी शिव के त्रिशूल पर खड़ी है और त्रिशूल की तीनों नोक के ऊपर तीन मुख्य मंदिर हैं। इनमें ओमकारेश्वर उत्तर में है, जबकि विश्वेश्वर बीच में और दक्षिण में केदारेश्वर मंदिर है।
काशी में 64 योगिनी मंदिर, 12 सूर्य मंदिर, 9 मंदिर नवदुर्गा, 9 चंडी मंदिर और कई अलग मंदिर भी हैं। इस तरह कुल 486 मंदिर काशी में हैं। काशी में आधा वर्ष सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होते हैं। यहां पंचकोशी यात्रा का भी महत्व है, इस दौरान 108 मंदिर पड़ते हैं, श्रद्धालु यहां पैदल ही यात्रा करते हैं। पंचकोशी यात्रा क्लॉकवाइज डायरेक्शन में होती है और इस यात्रा में पड़ने वाले सभी मंदिर रोड की राइट साइड पड़ते हैं।
काशी के बारे में बताया जाता है कि यहां पर 42 प्रकार के शिविलिंग है और कपिलधारा मंदिर में 42 प्रकार के सभी शिवलिंग एक ही स्वरूप में देखने को मिल जाते हैं।
काशी का अंक 5 है, जो कि शिव का अंक बताया जाता है। काशी इसी 5 अंक पर आधारित है, जिसे मानव शरीर की संरचना के आधार पर बनाया गया है, ताकि मानव सीधे ब्रह्मांड से जुड़ सके। काशी की वैज्ञानिक संरचना इस तरह समझते हैं।
काशी और ब्रह्मांड के बीच का कनेक्शन बाते हुए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के राणा पीबी सिंह और प्रवीण एस राणा लिखते हैं:
मानव शरीर 5 तत्वों से बना है
।-आकाश
2-पृथ्वी
3-वायु
4-जल
5- अग्नि
अब काशी के 5 रूट समझिए
1- चौरासीकोशी
2- पंचकोशी
3- नगर प्रदिक्षणा
4- अविमुक्त
5- अंर्तगृह
अब काशी की मानव संरचना में शरीर या यूं कहें कि शिव के पांच अंगों को ध्यान में रखा गया
1- मस्तिष्क
2- पैर
3- चेहरा
4- ब्लड
5- दिल
इसके अलावा पांच चक्र भी हैं। अब इनको ऐसे समझते हैं काशी मंडल की यात्रा पांच रूटों में विभाजित है। चौरासीकोशी, पंचकोशी, नगर प्रदिक्षणा, अविमुक्त और अंर्तगृह। ये पांचों रूट आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि तत्व का प्रतीक हैं। इन पांचों तत्वों से मानव शरीर के पांच अंगों- मस्तिष्क, पैर, चेहरा, ब्लड और दिल में ऊर्जा का प्रवेश होता है। अब प्रवेश के बाद एनर्जी का ट्रांसफॉरमेशन होता है, ये ट्रांसफॉरमेशन हैं- मस्तिष्क में चेतना, पैरों में एक्शन, बोध, दूरदर्शिता और पांचवां ट्रांसफॉरमेशन दिल में होता है, जिससे आनंद की प्राप्ति होती है। इसलिए काशी को सूक्ष्म ब्रह्माण्ड भी कहा जाता है, जो कि ब्रह्माण्ड से मानव को जोड़ देता है।
अमेरिकन नॉवलिस्ट और थिंकर मार्क ट्वेन काशी के बारे में लिखते हैं- ”काशी इतिहास से भी पुरानी है। यह परंपराओं से भी ज्यादा प्राचीन है। यह दंतकथाओं से भी पहले की है। इतिहास, परंपरा और दंतकथाओं, तीनों का इतिहास मिला भी दें, ये इन उससे भी दोगुनी पुरानी है।” मार्क 1986 में भारत आए थे, इसी दौरान उन्होंने काशी की भी यात्रा की थी और यह विचार व्यक्त किए थे।