Karwa (Karva) Chauth 2024 Date, Time in India And Puja Muhurat: करवा चौथ का त्योहार हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुखी जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होता है, और इसे विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत शुरू करती हैं और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं।
करवाचौथ तिथि 2024 (Karwa Chauth 2024 Tithi)
ज्योतिष पंचांग मुताबिक कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को शाम में 6 बजकर 16 मिनट से और इस तिथि का समापन 20 अक्टूबर को दोपहर में 3 बजकर 48 मिनट पर होगी। ऐसे में चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को रहेगी। इसलिए करवा चौथ का व्रत आज यानी 20 अक्टूबर को रखा जाएगा।
करवाचौथ पर भद्रा का साया (Karwa Chauth 2024 Bhadra Kaal Saya)
ज्योतिष गणना के मुताबिक करवाचौथ पर भद्रा का साया सुबह 06 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 06:47 तक रहेगा।
करवा चौथ व्रत 2024 मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Shubh Muhurat)
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से 07:02 तक रहेगा। इसके साथ ही व्रत सुबह 06:25 से रात 07:54 तक रहेगा।
करवा चौथ 2024 पर चांद निकलने का समय (Karwa Chauth Moonrise Time 2024)
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट का है। शहर के हिसाब से थोड़ा आगे पीछे हो सकता है।
करवा चौथ 2024 पर शुभ योग
वैदिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ पर चंद्रमा और गुरु के संयोग से वृष राशि में गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस दिन महालक्ष्मी योग, शश योग, समसप्तक योग और बुधादित्य राजयोग भी बन रहे हैं।
करवा चौथ 2024 पूजा विधि (Karwa Chauth 2024 Puja Vidhi)
करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और शाम को पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं। इस दिन की पूजा में मुख्य रूप से चौथ माता, भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा होती है। पूजा के लिए महिलाएं एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें। फिर उस पर इन देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित करें। पूजा की शुरुआत लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखने से होती है। इसके साथ ही एक मिट्टी का करवा लिया जाता है, जिसमें जल और शक्कर भरी जाती है। उसके बाद करवे पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर पूजा करें।
पूजा में धूप, दीप, अक्षत, फूल और चावल चढ़ाएं। इसके बाद चौथ माता की कथा पढ़ें। चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें। इसके बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।
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