Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन करवा माता और चन्द्रमा की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस बार करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, चंद्रोदय का समय के बारे में।

करवा चौथ 2023 पूजा मुहूर्त

2023 में करवा चौथ के पूजन का मुहूर्त 1 नवंबर 2023 को शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 1 घंटा 18 मिनट की है।

करवा चौथ का चंद्रोदय समय

1 नवंबर 2023 को शाम 8 बजकर 26 मिनट पर है। शहर के हिसाब से कुछ मिनट का अंतर हो सकता है।

करवा चौथ पर बन रहे शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल करवा चौथ पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि सुबह 6 बजकर 32 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग आरंभ हो रहा है, जो 2 नवंबर को सुबह 4 बजकर 34 मिनट से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही दोपहर 2 बजकर 05 मिनट तक परिघ योग रहेगा। इसके बाद से शिव योग आरंभ हो जाएगा। इसके साथ चंद्रमा आज शाम 4 बजकर 12 मिनट तक वृषभ राशि में रहेंगे। इसके बाद मिथुन राशि में संचार करेंगे।

करवा चौथ  2023 पूजन विधि

करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद सरगी का सेवन कर लें। इसके बाद देवी-देवता का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। करवा चौथ को शाम के सय पूजा करने का विधान है। दिनभर व्रत रखने के बाद शाम के समय पूजा आरंभ करें। एक चौकी में भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद करवा का चित्र भी रख लें। इसके बाद भगवान शिव को सफेद चंदन, फूल, माला, भोग आदि लगाएं। इसके साथ ही मां पार्वती को सिंदूर, रोली, कुमकुम, चुनरी, सोलह श्रृंगार के साथ गणेश जी की पूजा कर लें। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर करवा चौथ व्रत कथा कर लें। इसके बाद मिट्टी या पीतल का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहू, चावल, मिठाई, सिक्का आदि डाल दें। इसके बाद इसे ढक्कन से बंद करके उसमें गेहूं या फिर चावल रख दें। इसके साथ ही टोंटी में कांस की सींक लगा दें। इसके बाद इसकी विधिवत पूजा कर लें।  

चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को पानी से अर्घ्य देने के साथ फूल, माला, सिंदूर, मिठाई, फल चढ़ाने के साथ आरती कर लें। इसके बाद छलनी में दीपक रखकर पहले चंद्रमा को देखें। इसके बाद अपने पति का चेहरा दें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। फिर अपने पति के हाथ से पी लें। 

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