Karwa Chauth 2019 Puja Vidhi, Muhurat, Samagri, Mantra, Timings: हिन्दू पंचांग के मुताबिक करवा चौथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस बार करवा चौथ 17 अक्टूबर दिन गुरुवार यानी आज है। आज सुबह सुहागिन महिलाओं ने सरगी प्रथा के साथ तकरीबन 14 घंटे का निर्जला कठिन व्रत शुरू कर दिया है। इस साल का ये व्रत कई मायनों में बेहद अहम और शुभ मंगलदायी है। इस साल 4 शुभ संयोग पर रहे हैं जो 70 सालों बाद हिंदू पंचांग के अनुसार पड़ रहा है। करवा चौथ व्रत करने के पीछे सुहागिन महिलाओं का उद्देश्य ये होता है कि उनके पति की आयु लंबी हो। इसलिए महिलाएं सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना अन्न-पानी ग्रहण किए ये व्रत रखती हैं। अब ये महिलाएं सूर्यास्त का इंतजार करेंगी और इसके बाद ही जब चाँद निकलेगा तो चंद्र को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ व्रत में मुख्य रूप से शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
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करवा चौथ पूजा थाली की सामग्री (Karwa Chauth Puja Thali And Samagri) :
सबसे मुख्य चीज छलनी, मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन, करवा चौथ की थाली, कांस की तीलियां, करवा चौथ कैलेंडर, रोली और अक्षत (साबुत चावल), चीनी का करवा (विकल्प), गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी के 5 डेले, आटे का दीया, दीपक, सिंदूर, चंदन और कुमकुम, रूई की बत्ती, धूप या अगरबत्ती, फूल, मिठाईयां, फल, नमकीन मठ्ठियां, मीठी मठ्ठियां, जल का लोटा, गंगाजल, कच्चा दूध, दही और देसी घी, शहद और चीनी, लकड़ी का आसन, आठ पूरियों की अठावरी और हलवा, दक्षिणा।
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क्या है करवा चौथ की पूजा विधि ? (Karwa Chauth Vrat Puja Vidhi) :
– करवा चौथ करने वाली महिलाओं को सुबह दैनिक क्रिया से निवृत होकर स्नान के बाद संकल्प लेकर व्रत आरंभ करना चाहिए।
– व्रती को इस व्रत में बिना पानी पिये और बिना कुछ खाये व्रत में रहना चाहिए।
– व्रत के दिन व्रती को संकल्प के समय “मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’ इसे बोलना चाहिए।
– शाम के समय पार्वती जी की प्रतिमा जिसमें गणेश जी उनकी गोद में विराजमान हो, ऐसी प्रातिमा को पूजन स्थल पर स्थापित करें।
– माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें और उनका श्रृंगार करें।
– इसके बाद भक्ति-भाव से माता पार्वती जी की आरधना करें।
– सुहागिन महिलाएं व्रत के दौरान व्रत कथा सुनें।
– शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही पति द्वारा जल और अन्न ग्रहण करें।
– अंत में पति, सास, ससुर का आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन करें।
इस व्रत की पूजन सामग्री, विधि और सभी जरूरी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…
रात 8 बजकर 51 मिनट पर दिखेगा। मुंबई(Mumbai) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 44 मिनट पर दिखेगा। गांधी-नगर(Gandhi nagar) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 30 मिनट पर दिखेगा। हैदराबाद में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 23 मिनट पर दिखेगा। जयपुर में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
पंजाब/ हरियाणा/चंडीगढ़
- Chandigarh Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- चंडीगढ़
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
प्रयागराज में करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 03 मिनट पर दिखेगा। प्रयागराज में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
Dehradun Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- देहरादून
चांद निकलने का समय- 8:10 PM
Jhansi Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- झांसी
चांद निकलने का समय- 8: 18 PM
'ॐ शिवायै नमः' यह मंत्र माता पार्वती का माना गया है।
माना जाता है कि इस मंत्र का जप करवा चौथ के दिन करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं।
Faizabad Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- फैजाबाद
चांद निकलने का समय- 7: 59 PM
ओम अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात
ओम षण्मुखाय नमः
ओम सोमाय नमः
चंद्रमा पूजन के दौरान इस मंत्र के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियों का निवारण हो जाता है ।
Bahraich Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- बहराइच
चांद निकलने का समय- 8: 00 PM
प्रात: पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें- 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुथीज़् व्रतमहं करिष्ये।' अब जिस स्थान पर आप पूजा करने वाले हैं उस दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसें। इस घोल से करवा चित्रित करें। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।
Agra Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- आगरा
चांद निकलने का समय- 8: 16 PM
Meerut Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- मेरठ
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
Bareilly Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- बरेली
चांद निकलने का समय- 8:08 PM
उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड
- Noida/Greater Noida Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- नोएडा/ग्रेटर नोएडा
चांद निकलने का समय- 8: 15 PM
चांद को अर्घ्य उस चुन्नी को ओढ़कर दें जिसे आपने कथा सुनते समय पहना था। चंद्रमा को छलनी में दीया रखकर उसमें से देखें, फिर उसी छलनी से तुरंत अपने पति को देखें। छलनी में दीया रखने का रिवाज़ इसलिए बना, क्योंकि पहले के समय में जब स्ट्रीट लाइट्स नहीं हुआ करती थीं, तो महिलाएं दीये के प्रकाश से अपने पति को देखती थीं। आटे के दीये को वहीं जलता हुआ छोड़ आएं, जहां आपने अर्घ्य दिया है।
दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को विधि विधान पूजा करने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, आपको अपनी पूजा की थाली में इन 7 चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। छलनी, आटे का दीपक, फल, ड्राईफ्रूट, मिठाई और दो पानी के लोटे- एक चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए और दूसरा वो जिससे आप पहले पति को पानी पिलाती हैं और फिर वो आपको पिलाते हैं।
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।।
ऊँ जय करवा मइया। सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।।
ऊँ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।।
ऊँ जय करवा मइया। होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ऊँ जय करवा मइया। करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।
चंद्रोदय- रात्रि 8: 16 से 24 मिनट के बीच
पूजा मुहूर्त- 7:30 मिनट से 9:00 बजे तक
करवा चौथ व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना उत्तम माना गया है। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है। पारिवारिक जीवन खुशहाल बना रहता है। लेकिन इस दिन व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। और रात्रि में चांद के दर्शन करने के बाद अपना व्रत खोल लें।
“ प्रणम्य शिरसा देवम, गौरी पुत्रम विनायकम।
भक्तावासम स्मरेनित्यम आयु: सौभाग्य वर्धनम ।।
इस मंत्र को पढ़ने से पारिवारिक सुख-समृद्धि एवं अखण्ड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
इस व्रत में पूरे दिन जल या अन्न कुछ ग्रहण नहीं किया जाता है। ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। वैसे तो गर्भवती महिलाओं को व्रत रखने से बचना चाहिए। लेकिन अगर आपकी इच्छा हो तो आप फलाहार करके ये व्रत रख सकती हैं। इस व्रत में पूर्ण श्रृंगार करना, शाम के समय व्रत कथा सुनना और रात को चंद्र दर्शन करना जरूरी होता है।
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।। ऊँ जय करवा मइया।
होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।। ऊँ जय करवा मइया।
करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।
ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:,
ऊँ गौर्ये नम:,
ऊँ शिवायै नम: ।।
ऊँ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।'
चतुर्थी तिथि को रिक्ता और खला कहा जाता है, इसमें शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस दिन चन्द्र दर्शन से अपयश और कलंक लग सकता है। इसलिए इस दिन गणेश जी की उपासना करके अगर चन्द्रमा को नीची निगाह से अर्घ्य दें तो अपयश का दोष भंग हो जाता है। इसीलिए महिलाएं चन्द्रमा को छन्नी या परछाईं में देखती हैं।
- इस दिन किसी भी अन्न का दान करें।
- कंबल या लोहे के सामान का भी दान कर सकते हैं। अगर व्रत वाले दिन दान न कर पाएं तो अगले दिन भी ये काम कर सकते हैं।
- पति के हाथ में इस दिन रक्षा सूत्र बांधें।
- इस दिन जरूरतमंद विधवा महिला को दान देना लाभकारी होगा।
छलनी में चाँद और पति का चेहरा देखकर यह व्रत पूरा करने के पीछे की कहानी यह है कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
1. छलनी
2. मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन
3. दीपक
4. सिंदूर
5. फूल
6. फल
7. मेवे
8. रुई की बत्ती
9. कांसे की 9 या 11 तीलियां
10. नमकीन, मीठी मठ्ठियां
11. मिठाई
12. रोली और अक्षत (साबुत चावल)
13. आटे का दीपक
14. धूप या अगरबत्ती
15. पानी का तांबा या स्टील का लोटा
16. आठ पूरियों की अठावरी और हलवा
चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। चंद्रमा आयु, यश और समृद्धि का भी प्रतीक है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत और ज्योतिषाचार्य चंद्र प्रकाश पांडेय के अनुसार, इस बार चंद्रमा अपनी उच्च राशि में है। वह रोहिणी नक्षत्र के साथ होंगे। रोहिणी को उनकी पत्नी कहा गया है। करवा चौथ पर शिव परिवार की पूजा करने का विधान है। लेकिन मुख्य रूप से गणपति की ही पूजा होती है। विघ्नहर्ता गणेश जी को चतुर्थी का अधिपति देव माना गया है। 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
तिथि : 17 अक्टूबर-चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 17 अक्टूबर की सुबह 6:48 मिनट से-चतुर्थी तिथि समाप्त : 18 अक्टूबर को सुबह 7:29 मिनट तक-करवा चौथ व्रत का समय : 17 अक्टू. को सुबह 6:27 मिनट से रात 8:16 मिनट तक-कुल अवधि : 13 घंटे 50 मिनट-पूजा का शुभ मुहूर्त : 17 अक्टू. की शाम 5:46 मिनट से शाम 7:02 मिनट तक -कुल अवधि : 1 घंटे 16 मिनटपूजा मुहूर्त -शायं 5.50 से 7.05 बजे तक (करवा चौथ कथा का शुभ मुहूर्त)
करवा चौथ माता की पूजा के लिए तस्वीर, रुई, घी का दीपक, अबीर, गुलाल, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, कलावा, जनेउ जोड़ा, फूल, अक्षत (चावल), चंदन, इत्र, अगरबत्ती और नारियल होना अनिवार्य है।
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। इस दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं किया जाता और शाम के समय चांद को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस व्रत में शुभ मुहूर्त में शाम के समय पूजा की जाती है। पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें। एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं। पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर देनी चाहिए। इस दिन कई जगह महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं। पूजन के समय करवा चौथ कथा सुननी जरूरी होती है। रात को चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा कर व्रत संपन्न किया जाता है।
पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए। इस दिन कई जगह महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं। पूजन के समय करवा चौथ कथा सुननी जरूरी होती है। रात को चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा कर व्रत संपन्न किया जाता है।
करवा चौथ के व्रत में भगवान शिव, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। नैवेद्य में इनको करवे या घी में सेंके हुए और खांड मिले हुए आटे के लड्डू अर्पित किया जाता है।
करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को पूजन के लिए इन सामग्री की जरूरत पड़ेगी- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, जल के लिए लोटा, गंगाजल, दीया, बाती, रूई, चंदन, अगरबत्ती, कुमकुम, रोली, अक्षत, पुष्प, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी इत्यादि जुटाना होगा।
करवा चौथ पर दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है। यानी कि अन्न-जल के अलावा पानी पीने की भी मनाही होती है। सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां तारों के दर्शन करने के बाद पानी पी सकती हैं। वैसे तो गर्भवती और बीमार महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए। लेकिन कई गर्भवती महिलाएं फल और पानी पीकर भी यह व्रत कर सकती हैं।
1. छलनी
2. मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन
3. दीपक
4. सिंदूर
5. फूल
6. मेवे
7. फल
8. रुई की बत्ती
9. कांसे की 9 या 11 तीलियां
10. नमकीन मठ्ठियां
11. मीठी मठ्ठियां
12. मिठाई
13. रोली और अक्षत (साबुत चावल)
14. आटे का दीपक
15. धूप या अगरबत्ती
16. पानी का तांबा या स्टील का लोटा
17. आठ पूरियों की अठावरी और हलवा
18. दक्षिणा
जन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।