Karwa Chauth 2019 Date, Puja Muhurat, Timings: हिंदू पंचांग के मुताबिक करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है। तिथि अनुसार ये तिथि इस साल 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ी है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अपने सुहाग की रक्षा के उद्देश्य से करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत कर कथा सुनकर रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के अलावा कई कुंवारी लड़कियां भी रखती हैं। करवा चौथ मनाए जाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। जिसमें से एक श्री कृष्ण द्वारा द्रौपदी को बताए गए करवा चौथ व्रत कथा का महत्व भी है।
Karwa Chauth 2019 Puja Vidhi, Timings, Moonrise Time Today: Check here
क्यों मनाया जाता है करवा चौथ (Why We Celebrate Karwa Chauth) :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर त्योहार के पीछे कुछ न कुछ कहानी या कथा अवश्य होती है। इसी प्रकार करवा चौथ से संबंधित भी एक कहानी है। जिसके मुताबिक किसी जमाने में तुंगभद्रा नामक नदी के किनारे करवा नाम की एक प्रतिव्रता धोबिन रहती थी। कहते हैं कि उसका पति बहुत बूढ़ा और निर्बल था। वह एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था उसी वक्त अचानक वहां मगरमच्छ आ गया। जिसके बाद मगरमच्छ उसके पैरों को दबाकर उसे ले जाने लगा। इसी क्रम में वह अपनी पत्नी का नाम लेकर चिल्लाया।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि, सामग्री लिस्ट, मुहूर्त और सभी जानकारी मिलेगी यहां
पति की चिल्लाहट की आवाज सुनकर करवा वहां पहुंची तबतक मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने वाला था। जिसे देखकर करवा मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांधकर यमलोक पहुंची और अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई। इसके अलावा करवा ने यमराज से यह भी कहा कि उस मगरमच्छ को कठोर से कठोर दंड दें। इतना ही नहीं करवा ने यमराज से यह भी कहा- “अगर आप इस मगरमच्छ को दंड नहीं देते हैं तो मैं आपको शाप दे दूँगी और नष्ट कर दूंगी।” कहते हैं कि करवा के इस वचन को सुनकर यमराज भी डर गए और मगरमच्छ को नरक का रास्ता दिखा दिया और करवा के पति को लंबी आयु का वरदान दिया। मान्यता है कि जिस दिन यह घटना घटी वह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। तब से लेकर करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है।


रात 8 बजकर 51 मिनट पर दिखेगा। मुंबई(Mumbai) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 44 मिनट पर दिखेगा। गांधी-नगर(Gandhi nagar) में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 30 मिनट पर दिखेगा। हैदराबाद में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
रात 8 बजकर 23 मिनट पर दिखेगा। जयपुर में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
पंजाब/ हरियाणा/चंडीगढ़
- Chandigarh Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- चंडीगढ़
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
प्रयागराज में करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 03 मिनट पर दिखेगा। प्रयागराज में इस पर्व को खास तौर पर मनाया जाता है। इस व्रत में चंद्र दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। करवा चौथ व्रत का पूजन शाम के समय किया जाता है।
Dehradun Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- देहरादून
चांद निकलने का समय- 8:10 PM
Jhansi Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- झांसी
चांद निकलने का समय- 8: 18 PM
'ॐ शिवायै नमः' यह मंत्र माता पार्वती का माना गया है।
माना जाता है कि इस मंत्र का जप करवा चौथ के दिन करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं।
Faizabad Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- फैजाबाद
चांद निकलने का समय- 7: 59 PM
ओम अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात
ओम षण्मुखाय नमः
ओम सोमाय नमः
चंद्रमा पूजन के दौरान इस मंत्र के जाप से आपके जीवन की सभी परेशानियों का निवारण हो जाता है ।
Bahraich Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- बहराइच
चांद निकलने का समय- 8: 00 PM
प्रात: पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें- 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुथीज़् व्रतमहं करिष्ये।' अब जिस स्थान पर आप पूजा करने वाले हैं उस दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसें। इस घोल से करवा चित्रित करें। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।
Agra Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- आगरा
चांद निकलने का समय- 8: 16 PM
Meerut Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- मेरठ
चांद निकलने का समय- 8:14 PM
Gorakhpur Karwa Chauth 2019 Moon Rise Time
स्थान- गोरखपुर
चांद निकलने का समय- 8: 09 PM
अगर आपने ‘कभी खुशी, कभी गम' फिल्म देखी है, तो आप सरगी के बारे में बखूबी जानते होंगे। यह परंपरा पंजाबियों में ज्यादा मनाई जाती है, यह एक तरह की खाने की थाली होती है, जो कि सास अपनी बहू के लिए लेकर आती है। इसमें वह खाना होता है, जो सुबह जल्दी उठ के सूर्य निकलने से पहले खाया जाता है. इसमें नट्स, सेवईं की खीर और मठरी होती है। सूरज निकलने से पहले यह सब अच्छे से खाकर, खूब सारा पानी पीया जाता है, क्योंकि इसके बाद चांद निकलने तक कुछ नहीं खाया जा सकता।
इस व्रत में करवा का काफी महत्व होता है। पूजा के दौरान करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें।
करवा चौथ व्रत में चांदी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना और पति के स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।
इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना अत्यंत शुभ है। यह योग बहुत ही मंगलकारी है और इस दिन व्रत करने से सुहागिनों को व्रत का फल दोगुना मिलेगा। इस दिन चतुर्थी माता और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। वैसे तो पूरे देश में इस त्योहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं लेकिन उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में इसका ज्यादा महत्व है।
1. छलनी
2. मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन
3. दीपक
4. सिंदूर
5. फूल
6. फल
7. मेवे
8. रुई की बत्ती
9. कांसे की 9 या 11 तीलियां
10. नमकीन, मीठी मठ्ठियां
11. मिठाई
12. रोली और अक्षत (साबुत चावल)
13. आटे का दीपक
14. धूप या अगरबत्ती
15. पानी का तांबा या स्टील का लोटा
16. आठ पूरियों की अठावरी और हलवा
करवा चौथ व्रत वाले दिन शाम के समय विधि विधान पूजा के बाद चांद निकलने का इंतजार किया जाता है। चांद निकलने के बाद उसे छलनी से देखकर उसकी पूजा की जाती है। चांद की पूजा करने के बाद पत्नि अपने पति के हाथों से जल पीकर इस व्रत को तोड़ती है।
व्रत के दिन टाइम धीरे-धीरे निकलता है, लेकिन आपको भूख या प्यास महसूस होने से पहले शाम हो जाती है. इस टाइम लेडीज़ अच्छे से तैयार होकर पूजा करने के लिए इकट्ठी होती हैं. कथा तेज़ आवाज़ में पढ़ी जाती है. साथ ही, मिठाई, एक ग्लास पानी, दीया (दीपक) और पूजा का दूसरा सामान थाली में रखा जाता है, जो कथा के टाइम सर्कल में घूमती है. इसके बाद चांद निकलने का इंतजार किया जाता है.
करवा चौथ के व्रत के बारे मैं कृष्ण ने द्रौपदी को बताया था तथा शिव ने पार्वती को. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. मिट्टी के टोटीनुमा पात्र जिससे जल अर्पित करते हैं उसको करवा कहा जाता है और चतुर्थी तिथि को चौथ कहते हैं. इस दिन मूलतः भगवान गणेश ,गौरी तथा चंद्रमा की पूजा की जाती है.
“ प्रणम्य शिरसा देवम, गौरी पुत्रम विनायकम।
भक्तावासम स्मरेनित्यम आयु: सौभाग्य वर्धनम ।।
- ऊँ चतुर्थी देव्यै नम:,
ऊँ गौर्ये नम:,
ऊँ शिवायै नम: ।।
- ऊँ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।'
करवा चौथ
पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक.
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट.
करवा चौथ पर दिन में महिलाएं मिट्टी के गणपति बनाकर उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं। अखंड सौभाग्य की कामना होती है और शाम को चांद को देखकर व्रत खोलती है। इस दिन गणपति की पूजा करके महिलाएं सास और जेठानी को बायना देकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लेती हैं। रात को चांद की पूजा करके व्रत खोला जाता है।
करवा चौथ मनाने के पीछे एक कथा भी है जिसके अनुसार जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया। यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग दिया। और वह अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं। पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त वह कोई और वर मांग ले। तब सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें, जिसे यमराज ने हां कह दिया। पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था। अंत में अपने वचन में बंधने के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया। कहा जाता है कि तब से स्त्रियां अन्न-जल का त्यागकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखती हैं।
कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत किया जाता है। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इसे करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ पर दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है. यानी कि अन्न-जल के अलावा पानी पीने की भी मनाही होती है. सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां तारों के दर्शन करने के बाद पानी पी सकती हैं. वैसे तो गर्भवती और बीमार महिलाओं को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए. लेकिन कई गर्भवती महिलाएं फल और पानी पीकर भी यह व्रत कर सकती हैं.
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 70 सालों बाद बन रहा शुभ संयोग सुहागिनों के लिए फलदायी होगा। इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बेहद मंगलकारी रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय के अनुसार करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला तो करवा और दूसरा चौथ। जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व होता है। इसमें भी विशेष रूप से चतुर्थी तिथि जिस दिन रात्रि में चन्द्रमा उदय होने तक रहे, उस दिन करवा चौथ का व्रत होता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां प्रात: काल से ही निर्जला व्रत रखकर संध्या के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर और अपने पति का दर्शन कर जल ग्रहण करके व्रत का परायण करती हैं।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है। संकष्टी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास भी रखा जाता है। करवा चौथ के दिन माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। मां के साथ-साथ उनके पति भगवान शिव और उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी कि भी पूजा की जाती है। कई लोग इस दिन करवा चौथ कैलेंडर की भी पूजा करते हैं।
करवा चौथ (Karva Chauth 2019) में व्रत के साथ-साथ 16 श्रृंगार का भी काफी महत्व होता है। मान्यता है कि करवा चौथ के व्रत की पूजा के दौरान 16 श्रृंगार से सजना शुभ होता है। यहां देखिए 16 श्रृंगार के सामानों की पूरी लिस्ट। 1. सिंदूर 2. मंगलसूत्र 3. बिंदी 4. मेहंदी5. लाल रंग के कपड़े 6. चूड़ियां 7. बिछिया 8. काजल 9. नथनी 10. कर्णफूल (ईयररिंग्स) 11. पायल 12. मांग टीका 13. तगड़ी या कमरबंद 14. बाजूबंद 15. अंगूठी16. गजरा
यह पर्व रिश्तों को मजबूत बनाने वाला होता है जिस कारण यह पति-पत्नी दोनों के लिए ख़ास महत्व रखता है। यही कारण है कि करवा चौथ वाले दिन पत्नी द्वारा अपने पति की लंबी आयु और उसकी सुख-समृद्धि के लिए की गई पूजा-अर्चना पति की जिंदगी में पत्नी की अहमियत को ओर भी ज्यादा बढ़ा देती है।
वैसे तो किसी भी व्रत के कुछ आधारभूत नियम होते हैं, जैसे कि क्रोध न करना, किसी की बुराई न करना, मुख से अपशब्द न निकालना आदि। ठीक इसी तरह करवा चौथ के व्रत के दिन भी यह नियम लागू होता है। अगर आप व्रत कर रही हैं तोअपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। कहते हैं कि अगर इस दिन क्रोध किया जाए तो व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं, यानी संकटों को दूर करने वाली चतुर्थी। इस वर्ष करवा चौथ के दिन चांद रोहणी नक्षत्र में उदित होंगे। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है। इसलिए जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होते हैं तो अत्यंत शुभ फलदायी होते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक।
करवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक।
केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए। व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र कतई न पहनें।
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।