Karwa Chauth, Karwa Chauth Vrat 2019 Date: करवा चौथ (karwa chauth) का व्रत इस साल 17 अक्टूबर है। ज्योतिष जानकारों का मानना है कि इस बार का करवा चौथ व्रत 70 सालों बाद ऐसा शुभ संयोग (Karwa Chauth Shubh Sanyog) लेकर आ रहा है। इस बार 17 अक्टूबर को रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) के साथ मंगल (Mangal Yog) का भी योग है जो बेहद मंगलकारी है। इसके अलावा रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी के योग से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग भी इस करवा चौथ बन रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ उन महिलाओं की जिंदगी में आने वाला है जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली हैं।
दीपावली के करीब एक हफ्ते पहले पड़ने वाला करवा चौथ पति-पत्नी के रिश्ते की पवित्रता की पहचान के तौर पर मनाया जाता है। करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (Kartik krishna paksha chaturthi) को मनाया जाता है। करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला तो करवा और दूसरा चौथ। जिसमें करवा का मतलब मिट्टी के बरतन और चौथ यानि चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र यानी करवों की पूजा का विशेष महत्व है।
करवा चौथ का इतिहास- (History of Karwa Chauth)
मान्यताओं के मुताबिक, करवाचौथ देवताओं के समय से ही मनाया जाता रहा है। बताया जाता है कि, उस काल में एक बार देवों और दानवों में युद्ध छिड़ गया। इस लड़ाई में राक्षस भारी पड़ रहे थे। ऐसी स्थिति देख कुछ देवता ब्रम्हा जी के पास गए और इस संकट से निकालने का उपाय पूछा। देवताओं पर आए संकट को देख उन्होंने कहा कि, देवों की पत्नियों को उनके लिए उपवास रखना होगा। इस दौरान उनकी प्रार्थना से देवताओं की विजय होगी। ब्रम्हा जी की इस बात को देवों की पत्नियों ने तुरंत मान लिया। इसके फलस्वरूप युद्ध हारने की स्थिति में आ चुके देवताओं की जीत हुई। देवों की जीत की खबर मिलते ही देवताओं की पत्नियों ने अपना व्रत तोड़ अन्न ग्रहण किया था। कथाओं के अनुसार, इसी दौरान चांद भी निकल आया था। तभी से करवाचौथ व्रत की परंपरा शुरू हुई।
करवा चौथ का महत्व- (Karwa Chauth significance)
मान्यता यह भी है कि, माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए करवा चौथ रखा था। इसी व्रत के बाद ही उनका विवाह शिव से हुआ। कहा जाता है कि राजा बलि ने भगवान विष्णु को कैद कर लिया था। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने करवा चौथ का व्रत रखकर उन्हें मुक्त कराया।


करवाचौथ को महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन कैसे की जाती है पूजा। तो उस दिन आपको सूर्यादय से पूर्व जगना होता है। करवा चौथ प्रारम्भ के शुभ मुहूर्त से पहले ही सरगी के रूप में भोजन ग्रहण किया जाता है। पानी पर्याप्त मात्रा में पी लें। इसके बाद मुहूर्त के अनुसार निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। इस बार 13 से 14 घंटे का करवा चौथ व्रत होगा। शाम को एक मिट्टी की वेदी बनाकर वहीं देवताओं का आह्वान किया जाता है और करवा के रूप में उसकी पूजा होती है। थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाना चाहिए। पूजा चांद निकलने से एक घंटे पूर्व शुरू कर देनी चाहिए। पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुनें। फिर चांद निकलने के बाद चांद को छलनी से देखते हुए अर्घ्य देना चाहिए। फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।
करवा चौथ को जहां कई शुभ संयोग बन रहे हैं, वहीं जानकारों का ये भी मानना है कि उस सुहागिनों को बहुत से ऐसे काम नहीं करने चाहिए जो वर्जित माने गए हैं। जैसे उस दिन चाकू, सुई आदि से जुड़े कोई कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा उस दिन चंद्रमा के प्रतीक स्वरूप कई वस्तुओं के दान पर भी प्रतिबंध है। जैसे, सफेद फूल, सफेद कपड़े, दूध, दही चावल, सफेद मिठाई और नारियल आदि का दान अशुभ माना जाता है।
करवा चौथ में सरगी का भी काफी महत्व होता है। और करवा चौथ व्रत रखने से पूर्व सरगी खाने का भी शुभ मुहूर्त है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी। इस कारण इससे पहले ही महिलाओं को सरगी खा लेनी होगी।
करवा चौथ में इस बार व्रत का समय 13 घंटे 56 मिनट का बताया जा रहा है। पूरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। इसके बाद महिलाएं शाम को चांद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ेंगी। अभी अनुमान है कि इस बार चांद रात 8:18 बजे निकलेगा। वहीं चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 49 मिनट से लग जाएगा और यह 18 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
करवा चौथ के व्रत में शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा की जाती है। करवाचौथ का व्रत रखने और कथा सुनने से सुहागन महिलाओं के पतियों को दीर्घायु मिलती है। इसके अलावा उपवास रखने वाली महिलाओं को सुख, समृद्धि, शान्ति और सन्तान सुख की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि महाभारत में भी करवाचौथ के व्रत के महत्व का उल्लेख है। इस व्रत के दौरान कुछ भी नहीं खाया जाता है। मान्यता है कि, यदि निर्जला यानी बिन पानी के इस व्रत को पूरा किया जाए तो यह अधिक फल देता है।
17 अक्तूबर को होने वाला करवा चौथ का व्रत इस बार सुहागिन महिलाओं का उत्तम लाभ देगा। इस बार पड़ रहे अद्भुत संयोग से जो चार योग बन रहे हैं वह महिलाओं और उनके सुहाग के लिए मंगलकारी हैं।