Kartikeya Temple Pehowa: हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में महाभारत से लेकर कई ऐतिहासिक लड़ाइयां लड़ी गई है। इसी जगह पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। कुरुक्षेत्र के हर जगह पर कोई न कोई धार्मिक स्थल स्थित है, लेकिन यहां पर एक ऐसा मंदिर है, जो काफी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र के पिहोवा में एक ऐसा मंदिर स्थिति है, जहां पर सदियों से महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है। भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय जी यहां पर पिंडी रूप में विराजित है।  इसे स्वामी कार्तिकेय जी मंदिर नाम से जानते हैं। मान्यता है कि अगर इस मंदिर के गर्भगृह में महिलाएं जाकर दर्शन कर लें, तो वह सात जन्मों तक के लिए विधवा हो जाती है। इस बात में बाकायदा बोर्ड में लिखा गया है।

मंदिर में क्यों नहीं है महिलाओं की एंट्री?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान कार्तिकेय ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए ध्यान कर हे थे। ऐसे में देव इंद्र को इस बात की ईर्ष्या होने लगी कि कहीं ब्रह्मा जी उन्हें अधिक शक्तियां न दें। ऐसे में उन्होंने कार्तिकेय जी का ध्यान भंग करने के लिए कई अप्सराएं भेज दी। इस बाद से कार्तिकेय भगवान काफी क्रोधित हुए और उन्होंने शाप दे दिया कि अगर कोई महिला उनके ध्यान को भंग करने के लिए आती है, तो वह पत्थर की हो जाएगी। इसी के कारण मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को जाने की पाबंदी है। वह बाहर से ही दर्शन करती हैं।

महिलाएं ही नहीं नवजात बच्ची की एंट्री भी नहीं

इस मंदिर में सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि नवजात बच्ची तक को गोद में लेकर नहीं जाया जाता है। इससे उनके जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है।

पिंडी में चढ़ाया जाता है सरसों का तेल

स्वामी कार्तिकेय जी के मंदिर में भगवान को सरसों का तेल चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार, जब कार्तिकेय ने मां पार्वती से क्रोधित हुए थे। उन्होंने अपने शरीर का मांस और रक्त अग्नि में समर्पित कर दिया। ऐसे में भगवान शिव ने कार्तिकेय जी को प्रिथुडक तीर्थ (पिहोवा तीर्थ) जाने का आदेश दे दिया था। तब कार्तिकेय जी का गर्म शरीर को शीतलता देने के लिए ऋषि-मुनियों ने सरसों का तेल चढ़ाया था। तब उनके शरीर को शीतलता मिली थी। तब से आज तक कार्तिकेय जी की पिंडी में सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।