धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सृष्टि के संहारकर्ता हैं। सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा और पालनकर्ता भगवान विष्णु है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है। वैसे तो साल में कई पूर्णिमा आती हैं लेकिन सभी में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। मान्यताओं अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। जिसकी खुशी में देवताओं ने दिवाली मनाई थी। इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान इस आरती को करना न भूलें।
Shiv Ji Ki Aarti: यहां पढ़े पार्वती शिव जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
शिव जी की आरती (Shiva Aarti) :
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
कार्तिक पूर्णिमा का दिन क्यों है खास:
– कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जाग्रत अवस्था में होते हैं।
– भगवान विष्णु ने इसी तिथि को मत्स्य अवतार लिया था।
– भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासूर का संहार किया था।
-त्रिपुरासूर वध को लेकर देवताओं ने मनायी थी देव दीपावली
– भागवत पुराण के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचायी थी।
– सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्मदिन भी इसी दिन होता है।