Karni Mata Temple: राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता का मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर सिर्फ अपने धार्मिक महत्व के लिए ही नहीं, बल्कि यहां रहने वाले हजारों चूहों के कारण भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि यहां भक्त इन्हीं चूहों का जूठा प्रसाद खाते हैं और इसे शुभ माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के बारे में।
नवरात्रि में उमड़ती है भक्तों की भीड़
करणी माता मंदिर में हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर बड़े मेले का आयोजन होता है। इस दौरान दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। लोग यहां करणी माता के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। भक्तों की मान्यता है कि करणी माता कोई साधारण महिला नहीं, बल्कि दुर्गा माता का ही अवतार थीं। ऐसा बताया जाता है कि करणी माता का जन्म चारण जाति में हुआ था। वह एक योद्धा तपस्विनी थीं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन साधना और जनसेवा में बिताया। उनकी शक्ति और करुणा के किस्से आज भी स्थानीय लोगों की जुबान पर हैं। उन्हें आज भी देवी के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर में मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद
इस मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा यह है कि यहां चूहों का जूठा किया हुआ प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। यहां हजारों की संख्या में चूहे रहते हैं जिन्हें ‘काबा’ कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, करणी माता के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु एक सरोवर में डूबने से हो गई थी। माता ने यमराज से प्रार्थना की कि उनके पुत्र को जीवन मिले। यमराज ने लक्ष्मण को चूहे के रूप में दोबारा जीवन दिया। तभी से माना जाता है कि मंदिर के ये चूहे करणी माता के पुत्र और उनके वंशज हैं।
सफेद चूहों के दर्शन हैं बहुत शुभ
इस मंदिर में काले और सफेद दोनों रंग के चूहे रहते हैं, लेकिन सफेद चूहों को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सफेद चूहे के दर्शन कर लेता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सफेद चूहों का दिखना बेहद दुर्लभ होता है, इसलिए इन्हें देवी की कृपा का संकेत माना जाता है।
चूहों को नुकसान पहुंचाना है महापाप
इस मंदिर में चूहों को बहुत सम्मान दिया जाता है। भक्त मंदिर में इस तरह चलते हैं कि कोई चूहा उनके पैरों के नीचे न आ जाए। गलती से भी यदि कोई चूहा मर जाए तो व्यक्ति को सोने का चूहा बनवाकर मंदिर में दान करना पड़ता है। यही नहीं, चूहों को खास भोजन भी दिया जाता है और आरती के समय सभी चूहे अपने बिलों से बाहर आकर उपस्थित होते हैं। करणी माता के इस मंदिर को कई नामों से जाना जाता है, जैसे ‘चूहों वाली माता’, ‘मूषक मंदिर’ या ‘चूहों का मंदिर’। यह मंदिर न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है और विदेशी पर्यटक भी इसे देखने आते हैं।
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