Kanwar Yatra 2025: श्रावण मास के आरंभ होते ही आस्था और भक्ति से भरी कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो जाती है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है और इस पावन मास में शिवभक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं। हर वर्ष की तरह इस साल भी शिवभक्तों की श्रद्धा से भरी कांवड़ यात्रा 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से आरंभ हो रही है। कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से पैदल यात्रा करते हुए हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और अन्य तीर्थ स्थलों से गंगाजल भरकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों तक पहुंचाते हैं। सावन शिवरात्रि के दिन इस जल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है। यह परंपरा न सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि आत्मिक शुद्धि और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का माध्यम भी मानी जाती है। ऐसें में आइए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व क्या है…
कब तक चलेगी कावंड़ यात्रा?
श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा का शुभारंभ भी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह यात्रा श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर सावन की शिवरात्रि तक चलती है।
कांवड़ यात्रा का महत्व
हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है। इस यात्रा के माध्यम से शिवभक्त अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण भगवान शिव के चरणों में अर्पित करते हैं। मान्यता है कि कांवड़ यात्रा करने से महादेव अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कांवड़ यात्रा का मूल उद्देश्य भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट करना है। इस दौरान श्रद्धालु गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, जो अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति को रोग, भय, शोक और पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
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