Kamika Ekadashi 2023: सावन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से सभी दुखों के साथ-साथ पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। आज विष्णु भगवान के साथ श्री कृष्ण की पूजा का विधान है। इसके साथ ही तुलसी पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस एकादशी के स्मरण मात्र से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी के दिन कुछ कामों को करने की मनाही होती है और कुछ काम करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी के दिन करें ये काम
- कामिका एकादशी के दिन तुलसी के पौधे का पूजा करना शुभ माना जाता है। जल के बजाय दूध या फिर गन्ने का रस चढ़ाना लाभकारी होगा। इसके साथ ही घी का दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु का मनन करके हुए व्रत का संकल्प लें।
- एकादशी के दिन फल और दूध का ही सेवन करना चाहिए।
- अपनी योग्यता के अनुसार, जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
- एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।
कामिका एकादशी को न करें ये काम
- कामिका एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है। माना जाता है कि इसका सेवन करने से मन चंचल हो जाता है, जिससे आपका मन स्थिर नहीं रहता है और भगवान की आराधना करने में मन नहीं लगता है। इसके अलावा माना जाता है कि महर्षि मेधा चावल के रूप में उत्पन्न हुए थे। इसी के कारण इसे जीव के समान माना जाता है।
- एकादशी के दिन सुबह के समय दातुन करने की मनाही होती है, क्योंकि इस दिन पेड़-पौधों की पत्तियां, डाल को नहीं तोड़ना चाहिए।
- एकादशी के दिन तामसिक भोजन यानी लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह मन के भावों को प्रबल कर देते हैं।
- एकादशी के दिन बिस्तर में नहीं सोना चाहिए।
- एकादशी के दिन मांस, मदिरा आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन करने से रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।
FAQ
साल में कितनी पड़ती है एकादशी?
साल में 24 एकादशी पड़ती है।
कामिका एकादशी 2023 व्रत का पारण का समय
कामिका एकादशी व्रत का पारण 14 जुलाई 2023 को सुबह 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 18 मिनट तक
सावन मास की दूसरी एकादशी कब?
सावन की दूसरी एकादशी 29 जुलाई 2023 को पड़ रही है। जिसे पद्मिनी एकादशी कहा जाएगा।