Kalashtami Vrat 2024: हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष पंचांग मुताबिक यह व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाने का विधान है। यह दिन काल भैरव भगवान को समर्पित होता है। काल भैरव भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। साथ ही काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। इस बार पौष कालाष्टमी व्रत 22 दिसंबर 2024 दिन रविवार को पड़ रहा है। वहीं इस दिन भैरव स्तुति का पाठ करने से हर संकट से मुक्ति मिल सकती है। आइए जानते हैं पूजा विधि और भैरव स्तुति…
काल भैरव तिथि
वैदिक पंंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी। साथ ही इस तिथि का समापन 23 दिसंबर को शाम 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। वहीं निशिता मुहूर्त के आधार पर मासिक कालाष्टमी व्रत 22 दिसंबर रविवार को रखा जाएगा।
बन रहे हैं ये शुभ योग
ज्योतिष पंचांग के अनुसार 22 दिसंबर को मासिक कालाष्टमी व्रत के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं। उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, आयुष्मान योग और सौभाग्य योग बनेंगे। इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।
भैरव स्तुति
यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं। सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं। पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं। घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।
कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं। तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं। धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।
रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं। नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं। खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।
टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं। भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो। निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।
नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं। सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।
भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।। स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।
कालाष्टमी धार्मिक महत्व
शिव पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरे दिन व्रत रखकर काल भैरव भगवान की आराधना करता है। उसके कष्ट बाबा काल भैरव हर लेते हैं। साथ ही काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही अज्ञात भय खत्म होता है और गुप्त शत्रुओं का नाश होता है।