Kaal Sarp Dosh Nivaran: ज्योतिष अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दोष से पीड़ित लोगों को सफलता मिलने में काफी देरी होती है। इससे कुंडली में मौजूद शुभ ग्रह अपना शुभ फल नहीं दे पाते। जानिए कालसर्प दोष के क्या लक्षण हैं और इसे ठीक करने के लिए ज्योतिष क्या उपाय बताते हैं।
कालसर्प दोष के लक्ष्ण: कुंडली में अगर कालसर्प दोष हो तो व्यक्ति को राहू केतु और सांप के बुरे सपने दिखाई देते हैं। बार बार मृत्यु के सपने आते हैं। तमाम मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती। कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को अमूमन 42 वर्ष के बाद ही सफलता हासिल होती है। शत्रु काफी बढ़ जाते हैं। स्वास्थ्य खराब रहता है। व्यापार में लगातार हानि होती रहती है। विवाह होने में देरी होती है। संतान सुख प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
काल सर्प दोष के उपाय: अगर कुंडली में कालसर्प दोष है तो व्यक्ति को रोजाना भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन बहते हुए जल में थोड़े से कोयले के टुकड़ों का प्रवाहित करने से भी कालसर्प दोष से संबंधित परेशानियां कम होती हैं। गोमेद या फिर चांदी की धातु से बनी नाग की आकृति की अगूंठी धारण करना भी फायदेमंद साबित होता है। जटा वाला नारियल और मसूर की दाल को बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से भी कालसर्प दोष का बुरा प्रभाव कम होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु-केतु का जप और अनुष्ठान करवाने से भी ये दोष खत्म होता है।
कैसे बनता है काल सर्प दोष: कुंडली में जब राहु-केतु आमने-सामने होते हैं और सारे ग्रह एक तरफ रहते हैं, तो यह कालसर्प योग कहा जाता है। जब कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर हों तो यह कालसर्प योग नुकसानदायक नहीं होता। जब सारे ग्रह बाईं ओर रहें तो वह नुकसानदायक होता है। कालसर्प दोष के 12 प्रकार बताए गए हैं। अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, घातक, विषाक्त और शेषनाग।

