Kajari Teej 2024 Vrat Katha, Kajari Teej ki Kahani (कजरी तीज 2024 व्रत कथा): हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। यह व्रत रक्षाबंधन के ठीक तीन दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी खास होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके साथ ही भगवान शिव माता पार्वती की पूजा करती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती है। यह व्रत भी हरियाली और हरतालिका तीज की तरह की मनाया जाता है। इस दिन विधिवत पूजा करने के साथ-साथ अंत में इस व्र कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि कजरी तीज के दिन इस व्रत कथा का पाठ करने से जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कजरी तीज की संपूर्ण व्रत कथा…
कब है कजरी तीज 2024? (Kajari Teej 2024 Date)
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 21 अगस्त को शाम 5 बजकर 9 मिनट पर शुरू
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त- 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर
कजरी 2024 तिथि- उदया तिथि के हिसाब से कजरी तीज का पर्व 22 अगस्त 2024 को मनाया जा रहा है।
कजरी तीज 2024 पूजा मुहूर्त (Kajari Teej 2024 Shubh Muhurat)
सुबह का मुहूर्त – 22 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक
दोपहर का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक
कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej 2024 Vrat Katha)
कजरी तीज व्रत कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण का वास था। उसकी हालत दयनीय थी कि वह दो वक्त का भोजन कर पाता था। ऐसे में एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प लिया और अपने पति से व्रत के लिए चने का सत्तू लाने को कहा। यह बात सुनकर ब्राह्मण परेशान हो गया कि आखिर उसके पास इतने पैसे तो है नहीं, फिर वह सत्तू कहां से लेकर आए। ऐसे में पत्नी बोली कि चाहे चोरी करो या फिर डाका डालो, लेकिन मेरे लिए सत्तू लेकर आओ।
ऐसे में ब्राह्मण साहुकार की दुकान पर पहुंचा। जब वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि साहुकार के साथ-साथ उसके सभी नौकर सो रहे थे। ऐसे में ब्राह्मण चुपके से दुकान में चला गया सत्तू लाने लगा। ऐसे में उसकी आहट से हुई, जिससे नौकरों की नींद खुल गई है वह चोर-चोर शोर मचाने लगें। ऐसे में साहुकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को देख लिया। उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने तब कहा कि वह चोर नहीं है और केवल सवा किलो सत्तू लेकर जा रहा है।
ब्राह्मण ने बताया कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत किया है और उसके लिए पूजा सामग्री चाहिए। इसलिए उसने केवल सत्तू लिया है। यह सुनकर साहुकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली, तो उसके पास सही में कुछ नहीं मिला। साहुकार की आंखें नम हो गई। उसने ब्राह्मण से कहा कि अब से उसकी पत्नी को वह बहन मानेगा। इसके बाद साहुकार ने ब्राह्मण को पैसे, मेहंदी, सत्तू सहित सामान देकर अच्छे से विदा किया। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पति की आयु लंबी होती है।
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