Kajari Teej 2024 Shubh Muhurat Puja Vidhi Bhog Mantra And Aarti: हिंदू धर्म में कजरी तीज का विशेष महत्व है। यह पर्व हरियाली और हरतालिका तीज की तरह ही होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए तीज माता की पूजा करने के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रोदय के समय अर्घ्य देने के साथ अपना व्रत खोलती है। इस साल कजरी तीज पर काफी शुभ योग बन रहा है। इस साल कजरी तीज में पंचक भी लग रहा है। आइए जानते हैं कजरी तीज (Kajari Teej 2024) का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, पारण का समय से लेकर आरती तक…

कजरी तीज 2024 तिथि और पूजा का मुहूर्त

भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि का प्रारंभ: 21 अगस्त को बुधवार को शाम 05 बजकर 06 मिनट से
भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि का समापन: 22 अगस्त, गुरुवार, दोपहर 01:46 बजे पर

कजरी तीज 2024 पूजा मुहूर्त (Kajari Teej 2024 Shubh Muhurat)

सुबह का मुहूर्त – 22 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक
दोपहर का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग में कजरी तीज 2024 (Kajari Teej 2024 Shubh Yog)

पंचांग के अनुसार, इस साल कजरी तीज में सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र बनेगा। इस शुभ योग में पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी।

कजरी तीज में पंचक और भद्रा का साया ( Panchak And Bhadra On Kajari Teej)

इस साल कजरी तीज में पंचक रहेंगे। बता दें कि 19 अगस्त, सोमवार को पंचक शुरू हुए थे। लेकिन राज पंचक होने के का इन्हें अशुभ नहीं माना जा रहा है। इस अवधि में व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही भद्रा की बात करें, तो भद्रा सुबह में 5 बजकर 54 मिनट से दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक है। इस समय भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर है। इसलिए पूजा में किसी प्रकार की रोक नहीं होगी।

कजरी तीज 2024 पूजा विधि (Kajari Teej 2024 Puja Vidhi)

कजरी तीज को नीमड़ी माता, शिव जी और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और नीमाड़ी माता का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। इसके बाद काली या फिर शुद्ध मिट्टी से शिव -पार्वती जी और गणेश जी की मूर्ति बनाना शुरू करें। अगर आप मूर्ति नहीं बना सकते हैं, तो तस्वीर रख सकते हैं। अब एक चौकी में लाल या फिर पीला रंग का कपड़ा बिछाकर मां पार्वती, गणेश जी और शंकर जी मूर्ति या फिर तस्वीर रख दें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद तीनों को वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला, सिंदूर, सफेद चंदन, कुमकुम आदि चढ़ा दें और मां पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। सभी की षोडशोपचार पूजन कर लें। शिव जी को बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, भांग, आक का फूल, कनेर और धतूरा का फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही मां पार्वती को मंदार या लाल कनेर का फूल और गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। इसके साथ ही भोग लगाएं। भोग के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत पूजा कर लें। इसके साथ ही मां पार्वती को इस मंत्र के साथ सिंदूर अर्पित करें।

सिंदूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिंदूरं प्रतिगृह्यताम्।।

इसके बाद शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej Vrat Katha) , मंत्र का जाप करने के बाद आरती कर लें।

कजरी तीज 2024 पूजा मंत्र (Kajari Teej 2024 Puja Mantra)

  1. हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया,
    तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्.
  2. या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

कजरी तीज आरती (Kajari Teej 2024 Aarti)

जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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