Interesting Facts About Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा का नाम सुनते ही भक्तों के मन में श्रद्धा उमड़ने लगती है। उन्हें हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है और आज भी उनके भक्त उनकी सीखों पर अमल करते हैं। बाबा का जीवन चमत्कारों से भरा हुआ था और उनके बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि वे बिना कुछ कहे ही लोगों के मन की बातें समझ लेते थे और उनकी परेशानियों का समाधान कर देते थे। आइए आज हम आपको बताते हैं नीम करोली बाबा के जीवन से जुड़ी खास बातें।
बचपन और गृहस्थ जीवन
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा बताया जाता है। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। केवल 11 साल की उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी, लेकिन उनका मन सांसारिक जीवन में नहीं लगता था। उन्होंने साधु बनने का फैसला किया और घर छोड़ दिया। हालांकि, पिता के कहने पर वे कुछ समय के लिए वापस आए और परिवार की जिम्मेदारियां निभाईं। उनके दो बेटे और एक बेटी भी हुई। लेकिन आध्यात्मिक मार्ग की ओर उनका झुकाव हमेशा बना रहा। कहा जाता है कि 17 साल की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी और उनके गुरु स्वयं हनुमान जी थे।
कैसे पड़ा ‘नीम करोली बाबा’ नाम
नीम करोली बाबा ने पूरे भारत में भ्रमण किया और हर जगह उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा गया। लेकिन उनका प्रसिद्ध नाम ‘नीम करोली बाबा’ कैसे पड़ा, इसके पीछे एक रोचक घटना है। एक बार वे ट्रेन में बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। जब टिकट चेकर ने उन्हें देखा, तो अगले स्टेशन ‘नीम करोली’ पर उतार दिया। बाबा वहीं बैठ गए और अपना चिमटा जमीन में गाड़ दिया। इसके बाद ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकी। जब अधिकारी और यात्री घबरा गए, तो किसी ने सुझाव दिया कि बाबा से माफी मांगी जाए। माफी मांगने के बाद बाबा ने ट्रेन चलाने की अनुमति दी और ट्रेन तुरंत चल पड़ी। बाबा ने शर्त रखी कि यहां एक स्टेशन बनाया जाए, ताकि आसपास के गांववालों को फायदा हो। उनकी बात मानी गई और वहां ‘नीम करोली’ नाम से स्टेशन बना। तब से बाबा को ‘नीम करोली बाबा’ के नाम से जाना जाने लगा।
नीम करोली बाबा और कंबल से जुड़ी एक पुरानी घटना
नीम करोली बाबा के जीवन से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएं प्रचलित हैं। एक घटना के अनुसार, एक बार बाबा एक बुजुर्ग दंपति के घर अचानक पहुंचे। वे उनके अतिथि बने और रात वहीं रुकने का निर्णय लिया। दंपति ने उन्हें भोजन करवाया और एक कंबल देकर आराम करने के लिए कहा। रात में बाबा उस कंबल में सोते हुए कराहने लगे, जैसे कि कोई उन्हें मार रहा हो। अगली सुबह उन्होंने दंपति से कहा कि यह कंबल नदी में बहा दें और फिर वे वहां से चले गए।
कुछ दिनों बाद उस दंपति का बेटा घर लौटा। वह सेना में था। उसने बताया कि युद्ध के दौरान वह बहुत मुश्किल में फंस गया था, लेकिन कोई अदृश्य शक्ति उसे बचा रही थी। उसे बार-बार एक बुजुर्ग संत की छवि दिख रही थी। यह सुनकर उसके माता-पिता समझ गए कि बाबा ने ही उसके प्राण बचाए थे। इस घटना के बाद से बाबा को कंबल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि वे भक्तों की रक्षा करें।
नीम करोली बाबा और कैंची धाम
नीम करोली बाबा का प्रमुख आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम है। यह आश्रम भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है। बाबा यहां कई वर्षों तक रहे और भक्तों को आशीर्वाद देते रहे। यहां हर साल 15 जून को विशाल भंडारा का आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
बाबा के चमत्कार
नीम करोली बाबा के कई चमत्कारों की कहानियां भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं। एक बार कैंची धाम में भंडारे के दौरान घी की कमी हो गई। बाबा के कहने पर नदी से पानी लाया गया, और जब उसे प्रसाद बनाने के लिए उपयोग किया गया, तो वह घी में बदल गया। एक बार उनके भक्त को कड़ी धूप में यात्रा करनी थी। बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया और रास्ते भर उसके ऊपर बादल की छतरी बनी रही, जिससे उसे धूप नहीं लगी। मान्यता है कि बाबा के पास आने वाले लोगों की परेशानियां बिना कहे ही दूर हो जाती है।
कैंची धाम कैसे पहुंचे?
अगर आप नीम करोली बाबा के आश्रम जाना चाहते हैं, तो नैनीताल से यह स्थान 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग – दिल्ली से नैनीताल तक 324 किलोमीटर की दूरी है, जिसे गाड़ी या बस से करीब 6-7 घंटे में तय किया जा सकता है।
रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो कैंची धाम से 38 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस लेकर आश्रम पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग – सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है, जो 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
आश्रम जाने का सही समय
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच यहां जाना सबसे अच्छा रहता है। इस दौरान मौसम सुहाना होता है और यात्रा करने में कोई परेशानी नहीं होती। मानसून के दौरान भूस्खलन और खराब मौसम के कारण पहाड़ों में जाने से बचना चाहिए।
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