Vishwakarma Puja Shubh Yog And Muhurt: विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है और इसी दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान ब्रह्रााजी ने इस समूची सृष्टि की रचना की और भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि को सुंदर तरीके से सजाया और संवारा है। भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का सबसे बड़ा इंजीनियर माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। इस दिन लोग अपने कारखानों में लगी मशीनों और वाहन का पूजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजन करने से मशीने सही रूप से चलती रहती हैं। वहीं इस दिन 5 शुभ योग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और योग…
जानिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। उसके बाद दोपहर में शुभ मुहूर्त 01 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक है। फिर तीसरा शुभ समय दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शाम 04 बजकर 53 मिनट तक है। इन तीनों मुहूर्त में आप अपने फैक्ट्री, वाहन और औजारों की पूजा कर सकते हैं। भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें विश्व का पहला इंजीनियर माना गया है। विश्वकर्मा भगवान के आशीर्वाद से मशीने अच्छी चलती है और उन पर अनावश्यक खर्च भी नहीं होता है।
बन रहे हैं ये शुभ योग
पंचांग के मुताबिक इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। आपको बता दें कि 17 सितंबर को सुबह से लेकर रात तक वृद्धि योग रहने वाला है। इसके अलावा अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। वहीं द्विपुष्कर योग दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से दोपहर 02 बजकर 16 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र में इन योगों का विशेष स्थान है। इसलिए इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है।
जानिए विश्वकर्मा पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन जल्दी स्नान करें। साथ ही साफ सुथरे कपड़े पहन कर ऑफिस या दुकान पर पहुंच जाएं। इसके बाद चौकी पर नया पीला कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद खुद या किसी योग्य ब्राह्राण से मशीनों, औजारों की पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप भी करें। फिर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें। जो भोग लगाएं उसको बाद में कर्मचारियों को बांट दें।
